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रांची : सड़े और गंदे नोटों को धोकर धूप में सुखाया गया, फिर भी दुरुस्त नहीं हुए, तो कंडमवाली टोकरी में डाल दिया गया

पहाड़ी मंदिर की दान पेटियों में रखे पैसों की हालत देख हैरान रह गये प्रशासन के अधिकारी रांची : प्रशासन की टीम मंगलवार सुबह सात बजे ही पहाड़ी मंदिर पहुंच गयी थी. यहां पहुंचते ही अधिकारियों ने सीधे मुख्य मंदिर का रुख किया. सबसे पहले बाबा के मुख्य मंदिर में रखी दान पेटियों के पैसों […]

पहाड़ी मंदिर की दान पेटियों में रखे पैसों की हालत देख हैरान रह गये प्रशासन के अधिकारी
रांची : प्रशासन की टीम मंगलवार सुबह सात बजे ही पहाड़ी मंदिर पहुंच गयी थी. यहां पहुंचते ही अधिकारियों ने सीधे मुख्य मंदिर का रुख किया. सबसे पहले बाबा के मुख्य मंदिर में रखी दान पेटियों के पैसों की गिनती शुरू हुई.
दान पेटियों को जैसे ही खोलकर उड़ेला गया, अधिकारी भौचक रह गये. उन्होंने देखा कि कि नोट पूरी तरह से भीगे हुए हैं. जो दान पेटी में चिपक गये हैं. नोटों की हालत काफी खराब हो चुकी थी. नोटों को खींचकर निकाला जा रहा था. अधिकारियों ने देखा कि कई नोट टुकड़ों में बंट चुके हैं.
वहीं, कई नोट काले हो गये हैं. अधिकारियों ने खुद ही नोटों को दान पेटी से बड़ी ही सावधानी से निकाला. एक साथ चारों पेटियों के नोटों को उढ़ेला गया. चार मजिस्ट्रेट अलग-अलग दल बनाकर नोटों को समेटने में लग गये. लेकिन, नोटों की गिनती में रांची पहाड़ी मंदिर समिति के सदस्य नदारद दिखे. कुछेक सदस्य गिनती के कार्य में लगे. शाम को नोटों की गिनती करने में केवल अधिकारी ही बचे रहे.
काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है : नोटों की गिनती में लगे मजिस्ट्रेट की टीम को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. अधिकारियों का कहना है कि नोटों की गिनती में समिति के सदस्यों का सहयोग नहीं मिल रहा है. कुछेक सदस्य सुनील माथुर व मुकेश अग्रवाल सक्रिय दिखे. कुछ देर तक पुजारियों का दल भी लगा. लेकिन, बाद में सारे लोग चले गये. अधिकारियों का कहना है कि इस कार्य में समिति के सारे सदस्यों की भागीदारी होनी चाहिए.
नोटों की गिनती में लगे हैं ये अधिकारी
मजिस्ट्रेट की अगुवायी में दान पेटियों की गिनती शुरू हुई. इसके लिये चार मजिस्ट्रेट की प्रतिनियुक्ति की गयी है. इनमें मजिस्ट्रेट रमेश कुमार, रमेश कुमार रविदास, दिलीप कुमार, रंजीत रंजन शामिल थे. इसके अलावा नोटों की गिनती में समिति के एक-दो सदस्य शामिल थे. सुबह साढ़े सात बजे दान राशियों की गिनती शुरू हुई जो शाम साढ़े पांच बजे तक चली.
दान को संभाल कर नहीं रख सकते और कहते हैं कि सड़ा नाेट गिनकर सेवा कराे
पहाड़ी बाबा के मुख्य मंदिर में पूजा करनेवाले श्रद्धालु पैसा गिनते देख अचंभित थे. पूजा करने के बाद लौट रहे भक्तों से जब पहाड़ी समिति के सदस्यों ने कहा कि नोट गिनकर सेवा करते हुए जाइये.
यह सबसे बड़ा पूण्य कार्य है. भक्त यह सुनते ही आक्राेशित हो जा रहे थे. भक्ताें का कहना था कि दान किये पैसा को संभाल कर नहीं रखते हैं, अब कह रहे है नोट गिन कर पुण्य का कार्य कराे. बाबा की पूजा करने वाले सभी भक्त नोट की बर्बादी देखकर दुखी थे. उनका आक्रोश दान का नाम सुनते ही भड़क जा रहा था.
पूजा के सामान की नहीं हो रही खरीदारी
दानपात्र से पैसे की निकासी नहीं होने के कारण कई माह से पहाड़ी बाबा की पूजा के लिए सामान की खरीदारी नहीं हो पा रही है. भक्तों द्वारा बाबा की पूजा का सामान दिया जाता है, तब जाकर बाबा की पूजा होती है. वहीं, सुबह में होने वाली सरकारी पूजा भी प्रभावित है.
दान भी नहीं मांगा गया
हर बार सावन में पहाड़ी मंदिर आने वाले भक्तों से दान देने के लिए एनाउंस किये जाते थे, लेकिन इस बार सावन में इस तरह का कुछ नहीं हुआ. समिति की ओर से एक बार भी दान के लिए उदघाेषणा भी नहीं की गयी.
बिजली का चार लाख रुपये बकाया
एक ओर दान पेटियों में नोट सड़ रहे हैं. वहीं, पहाड़ी मंदिर पर बिजली विभाग का चार लाख रुपये बकाया हैं. यही नहीं, पहाड़ी मंदिर में पुजारियों व कर्मचारियों समेत 15 लाेग हैं, जिन्हें चार माह से वेतन नहीं दिया गया है.
श्रद्धालुओं द्वारा डाली गयी दान राशि की गिनती के लिए मंगलवार को पहाड़ी मंदिर की दान पेटियों को खोला गया, तो निकलने वाले नोट ओर सिक्कों से पानी टपक रहा था. नोट इतने गंदे थे कि उन्हें धोकर धूप मेंं सुखाया गया. काफी देर तक धूप लगने के बाद भी नोट नहीं सूखे, तो कर्मचारियों ने उन्हें कंडम वाली टोकरी में रख दिया.
क्या कहते हैं भक्त
यह घटना चौंकाने वाली है. भक्तों की आस्था का ऐसा हश्र नहीं होना चाहिए था. भक्त अपनी श्रद्धा से भगवान के मंदिर में दान देते हैं और कुछ लोगों की लापरवाही से यह हाल होता है. दान की राशि का देखभाल करना चाहिए.
गिताली हलधर
पहाड़ी मंदिर विकास समित की लापरवाही से दान में मिले लाखों रुपये बर्बाद हो गये. हर भक्त अपनी क्षमता के अनुरूप दान देता है. अगर दान की राशि का यही हश्र होना है, तो लोग दान करने से भी कतरायेंगे.
आनंद शर्मा
नोटों की हालत देख काफी आश्चर्य हो रहा है. अगर दान पेटियों की स्थिति ठीक नहीं है, तो उसे ठीक कराना चाहिए था. यहां की समिति की जिम्मेदारी बनती है कि वह दान पेटियों को सही करायें. लेकिन, ऐसा नहीं हुआ.
सुनीता शर्मा
दान के नोट बेकार हो गये हैं. यह देखकर काफी बुरा लग रहा है. हमने तो नोटों की गिनती में सहयोग भी किया. कई नोट दो टुकड़े हो चुके हैं. यह राशि भक्तों की है. इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई हो.
प्रभा मांझी
कई नोट काम के नहीं रह गये हैं. नोट या तो सड़ गये हैं या काले पड़ गये हैं. ऐसा नहीं होना चाहिए था. क्योंकि भक्त मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए दान देते हैं. अब इन बेकार पड़े पैसों का कोई उपयोग नहीं हो सकेगा.
संगीता कुमारी
यह हमारी आस्था से खिलवाड़ है. भक्त यह सोच कर दान करते हैं कि उनके दिये पैसे का उपयोग मंदिर के जिर्णोद्धार में किया जायेग, लेकिन यहां ताे दान के पैसा काेे सड़ा दिया जाता है. बाबा दोषी को जरूर सजा देंगे.
अभिषेक कुमार
दान के पैसों का उपयोग किया जाना चाहिए था. समिति के सदस्यों और प्रशासन को दानपात्र में पड़े पैसों का इस्तेमाल मंदिर के कार्य में करना चाहिए. अब जो नोट सड़-गल गये हैं, उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?
झुन्नी
हम हमेशा आनेवाले पहाड़ी बाबा के भक्त हैं. जब भी आते सामर्थ्य के हिसाब से दान करते हैं, लेकिन हमारे दान का यह हाल होगा, कभी सोचा नहीं था. जो भी इसके लिए दोषी हैं, उनके िखलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. साथ ही जिला प्रशासन इसके लिए समिति के सदस्यों की जिम्मेदारी तय करे.
पम्मी

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