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रांची : डॉ दिलीप प्रसाद व डॉ शांति को वीआरएस देने में पेच
विवि सिंडिकेट/सीनेट ही सक्षम, राजभवन प्रस्ताव भेजने के निर्णय पर मामला फंसा रांची : झारखंड लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ दिलीप प्रसाद व सदस्य डॉ शांति कुमारी (वर्तमान में रांची विवि में कार्यरत) को वीआरएस देने में तकनीकी पेच सामने आया है. रांची विवि सिंडिकेट ने पिछली बैठक में दोनों के वीआरएस की […]
विवि सिंडिकेट/सीनेट ही सक्षम, राजभवन प्रस्ताव भेजने के निर्णय पर मामला फंसा
रांची : झारखंड लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ दिलीप प्रसाद व सदस्य डॉ शांति कुमारी (वर्तमान में रांची विवि में कार्यरत) को वीआरएस देने में तकनीकी पेच सामने आया है. रांची विवि सिंडिकेट ने पिछली बैठक में दोनों के वीआरएस की स्वीकृति प्रदान करते हुुए अंतिम निर्णय लेने का अधिकार राजभवन को दे दिया है. वहीं, विवि नियमानुसार विवि सिंडिकेट व सीनेट ही विवि के प्राध्यापक व कर्मी को वीआरएस देने के लिए सक्षम है.
विवि सिंडिकेट ने राजभवन से अनुमति मांग कर इसे तकनीकी पेच में फंसा दिया है. जानकारों के अनुसार डॉ दिलीप प्रसाद व डॉ शांति कुमारी के जेपीएससी के कार्यकाल के दौरान हुई विभिन्न परीक्षाअों व नियुक्ति अनुशंसा में हुई गड़बड़ियों की सीबीआइ जांच चल रही है. सीबीआइ लगभग 18 मामलों की जांच कर रही है. इस मामले में डॉ प्रसाद व डॉ कुमारी जेल भी जा चुके हैं अौर निलंबित भी हो चुके हैं. ऐसे में राजभवन द्वारा वीआरएस के मामले में सिंडिकेट के फैसले पर सहमति देने की संभावना कम है.
हालांकि विवि द्वारा अभी तक वीआरएस से संबंधित प्रस्ताव राजभवन नहीं पहुंचा है. बताया जाता है कि विवि सिंडिकेट सदस्य भी डॉ प्रसाद व डॉ कुमारी के मामले में सीधे तौर पर जिम्मेवार नहीं बन कर राजभवन से अनुमति मांगने का निर्णय ले लिया है.
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