रांची : मदर टेरेसा ने बहुत मेहनत से एक संस्था बनायी थी. मिशनरीज ऑफ चैरिटी. समाज के सबसे पिछड़े और ऐसे लोगों के लिए इस संस्था की स्थापना हुई थी, जिसका दुनिया में अपना कोई नहीं. इसके लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार मिला. संत का दर्जा मिला. लेकिन, रांची स्थित इस संस्था की संचालक ने उनकी वर्षों की तपस्या को मिट्टी में मिला दिया. मिशनरीज ऑफ चैरिटी की यह शाखा आज बच्चों की खरीद-फरोख्त के बड़े केंद्र के रूप में बदनाम हो गयी है.
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एक नवजात की बिक्री का खुलासा होने के बाद नित नये खुलासे हो रहे हैं. अब ऐसे-ऐसे तथ्य सामने आ रहे हैं, जिसकी वजह से संस्था की गतिविधियों पर शक गहराता जा रहा है. पता चला है कि इस संस्था की मदद से जिन बच्चों का जन्म हुआ, उसमें से 280 का कोई अता-पता नहीं है. बताया गया है कि वर्ष 2015 से 2018 के बीच यहां करीब 450 गर्भवती महिलाएं थीं. इनमें से सिर्फ 170 की डिलीवरी रिपोर्ट ही उपलब्ध है. 280 के बारे में कोई जानकारी नहीं है.
इसलिए आशंका गहरा रही है कि मिशनरीज ऑफ चैरिटी की आड़ में वर्षों से यहां नवजात का सौदा हो रहा है. इस मामले में खुफिया विभागपहलेभी सरकार को रिपोर्ट देता रहा है. जनवरी, 2016 में मिशनरीज ऑफ चैरिटी की निर्मल हृदय रांची में 108 गर्भवती महिलाएं थीं. बाद में बाल कल्याण समिति ने जांच में पाया कि इनमें से10 बच्चों का ही जन्म दिखाया गया. 98 के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गयी.
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रिपोर्ट्स के अनुसार, आंध्रप्रदेश में भीऐसा मामला सामने आया था. बहुत-सी संस्थाओं के माध्यम से बच्चों की खरीद-बिक्री हुई थी. आंध्रप्रदेश सरकार ने इस मामले में सीबीआइ जांच की अनुशंसा की थी. खबर है कि मिशनरीज ऑफ चैरिटी ने झारखंड के नवजातों को अवैध तरीके से कोलकाता, केरल, तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश की मिशनरीज की संस्थाओं में फादर, सिस्टर और नन बनाने के लिए भेजा है. अब इसी संस्था द्वारानवजातशिशुओं को बेचे जाने की खबर सामने आने के बाद पूरे प्रदेश में पुलिस कारगर कार्रवाई की तैयारी कर रही है.