रांची : संथाल हूल दिवस के अवसर पर शनिवार को बिहार क्लब में आयोजित संकल्प सभा में विभिन्न आदिवासी मूलवासी सामाजिक संगठनों व दलों के प्रतिनिधि एकत्र हुए. इस अवसर पर 1855 विद्रोह के शहीदों को श्रद्धांजलि दी गयी. साथ ही भूमि अधिग्रहण संशोधन कानून सहित अन्य जनविरोधी नीतियों के खिलाफ आहूत पांच जुलाई के बंद का समर्थन भी किया गया. इस अवसर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि संथाल हूल के पीछे कई कारण थे.
टैक्स लगाना, अंग्रेजों, जमींदारों, महाजनों का अत्याचार अौर जमीन की लूट. आज रघुवर दास की सरकार भी वैसे ही अत्याचार कर रही है. भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन किसलिए किया गया है? जाहिर है कि सरकार की नीयत ठीक नहीं है. लैंड बैंक बनाया गया है, ताकि पूंजीपतियों को जमीन उपलब्ध करा सके. सरकार की फूट डालो अौर राज करो की नीति सफल नहीं होने देंगे.
पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने कहा कि आज उन्मादी शक्तियों का सरकारीकरण हो गया है. आदिवासियों की जमीन सीएनटी/एसपीटी एक्ट के तहत नहीं ली जा सकती, तो भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल लागू कर दिया है. धर्मांतरण कानून बनाने का क्या अौचित्य था. जब पहले से ही आइपीसी में जबरन धर्मांतरण के खिलाफ प्रावधान था, तो अलग से कानून क्यों बनाया गया? पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव ने कहा कि खूंटी में जो घटना घटी, उसका मास्टर माइंड खूंटी में नहीं बल्कि सरकार में है. जितनी ताकत सरकार से सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन और मोमेंटम झारखंड में लगायी, उतनी विकास में लगाती तो इस राज्य की सूरत बदल जाती.
शिक्षाविद डॉ करमा उरांव ने कहा कि संथाल हूल जमीन के लिए हुआ था. वर्तमान सरकार भी हमारी जमीन पर ही हमला कर रही है. भूमि अधिग्रहण संशोधन कानून के तहत आदिवासियों की जमीने छीन कर पूंजीपतियों को देने की तैयारी चल रही है. बंधु तिर्की ने कहा कि भूमि संशोधन अधिग्रहण कानून की वजह से सीएनटी-एसपीटी एक्ट को कमजोर किया जा रहा है. प्रेमशाही मुंडा ने कहा कि आज राज्य में जो स्थिति बनी है, वह बीजेपी अौर आजसू गठबंधन की सरकार की वजह से है. शिवा कच्छप ने कहा कि सभी आदिवासी मूलवासी संगठन एक होकर संघर्ष करें. केडी सिंह सहित अन्य ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया.