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झारखंड : एक विद्यार्थी को आइएससी कराने में राज्य सरकार का 67,000 रुपये खर्च

इतने पैसे में िकसी भी नामी िगरामी प्राइवेट स्कूल से पढ़ाई कर लेते प्लस टू स्कूलों के करीब 24,000 िवद्यािर्थयों ने इंटर साइंस की परीक्षा दी थी 8467 विद्यार्थी ही हुए सफल, सरकार के 56 करोड़ रुपये हुए खर्च रांची : राज्य में पठन-पाठन का स्तर सुधारने के लिए सरकार जितना प्रयास कर रही है, […]

इतने पैसे में िकसी भी नामी िगरामी प्राइवेट स्कूल से पढ़ाई कर लेते

प्लस टू स्कूलों के करीब 24,000 िवद्यािर्थयों ने इंटर साइंस की परीक्षा दी थी
8467 विद्यार्थी ही हुए सफल, सरकार के 56 करोड़ रुपये हुए खर्च
रांची : राज्य में पठन-पाठन का स्तर सुधारने के लिए सरकार जितना प्रयास कर रही है, रिजल्ट का ग्राफ उसी अनुपात में तेजी से गिरता जा रहा है. इस साल इंटर साइंस में आधे से अधिक विद्यार्थी फेल हो गये. पांच साल बाद झारखंड में साइंस संकाय में 52% विद्यार्थी फेल हुए हैं. हालांकि सरकार प्लस टू स्कूल के विद्यार्थियों के बेहतर रिजल्ट के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. शिक्षकों की नियुक्ति कर रही है. इस साल प्लस टू स्कूल के 8467 विद्यार्थियों को आइएससी पास कराने में सरकार को 56 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े. हालांिक परीक्षा करीब 24,000 छात्रों ने दी थी. विद्यार्थियों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए वर्ष 2012 में प्लस टू विद्यालयों में 1200 से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी. गत वर्ष भी सरकार ने 400 से अधिक प्लस टू शिक्षकों की नियुक्ति की है.
वैसे प्लस टू विद्यालय जहां किसी विषय के शिक्षक नहीं है, वहां हाइस्कूल के शिक्षकों को प्रतिनियुक्त किया गया.
एक िवद्यार्थी को आइएससी…
इसके बाद भी रिजल्ट में सुधार नहीं हो पाया. वर्ष 2014 में इंटर साइंस में 63.65 विद्यार्थी पास हुए थे. वर्ष 2018 में यह घट कर 48.34 फीसदी हो गया. गत चार वर्षों में रिजल्ट में 15 फीसदी की गिरावट आ गयी . प्लस टू उच्च विद्यालयों के शिक्षकों के वेतन पर होनेवाले खर्च व उत्तीर्ण विद्यार्थियों की संख्या देखा जाये तो सरकार एक विद्यार्थी के पढ़ाई पर निजी स्कूल से भी अधिक खर्च
कर रही है.
सरकारी प्लस टू स्कूल के एक भी बच्चे को 90 फीसदी अंक नहीं : झारखंड के एक भी सरकारी प्लस टू विद्यालय के विद्यार्थी को इस साल आइएससी और आइकॉम में 90 फीसदी से अधिक अंक नहीं मिला.
50 प्लस टू स्कूलों में पास करनेवाले दहाई अंक में नहीं : प्लस टू विद्यालयों के खराब रिजल्ट का असर विद्यालयों के नामांकन पर भी पर रहा है. राज्य के 50 से अधिक प्लस टू उच्च विद्यालयों में इस वर्ष इंटर साइंस में पास होनेवाले विद्यार्थियों की संख्या 10 से भी कम है. 100 से अधिक स्कूलों में 50 विद्यार्थी भी नहीं है. वहीं एक ओर प्लस टू विद्यालयों को नामांकन के लिए विद्यार्थी नहीं मिल रहे हैं, वहीं दूसरी ओर राजधानी के इंटर कॉलेजों में तीन-तीन शिफ्ट में इंटर की पढ़ाई हो रही है.
हाल प्लस टू स्कूलों के परीक्षा परिणाम का
सरकार जितना कर रही सुधार का प्रयास उतना नीचे जा रहा रिजल्ट का ग्राफ
वर्ष 2016 के बाद इंटर साइंस का रिजल्ट और हो गया खराब
प्लस टू स्कूलों में बच्चों को पास करने का खर्च
इंटर साइंस की परीक्षा में शामिल होनेवाले +2 स्कूल : 199
विद्यालयों से परीक्षा में पास परीक्षार्थी : 8,467
साइंस व इससे जुड़े विषय पढ़ाने के लिए नियुक्त शिक्षक : 789
एक शिक्षक का औसत वेतन : 60,000
789 शिक्षकों के एक माह का वेतन : 4,73,40000
शिक्षकों का एक साल का वेतन : 56,80,80000
एक विद्यार्थी पर सालाना खर्च : 67,093
एक विद्यार्थी पर सरकार का मासिक खर्च : 5,591 रुपये
प्लस टू स्कूलों का रिजल्ट
स्कूल पास विद्यार्थी
प्लस टू स्कूल, तमाड़ 05
एसएस प्लस टू, सिमडेगा 01
प्लस टू, टुंडी 04
प्लस टू, जयनगर 04
बीआइटी प्लस टू, मेसरा 01
छोटानागपुर राज +2, रातू 02
एसएस प्लस टू , सिल्ली 02
श्री हरि प्लस टू, तोरपा 03
आरके प्लस टू, शिकारीपाड़ा 05
प्लस टू, बरकागांव 01
प्लस टू, अमरापाड़ा 04
साइंस के लिए 789 शिक्षकों की नियुक्ति
प्लस टू विद्यालयों में विज्ञान संकाय व उससे जुड़े विषयों को पढ़ाने के लिए सरकार ने 789 शिक्षकों की नियुक्ति की है. इन शिक्षकों काे प्रतिमाह 95 हजार से लेकर 50 हजार तक वेतन मिलता है. ऐसे में अगर एक शिक्षक का औसत वेतन 60 हजार मान लिया जाये, तो सरकार प्रति माह लगभग 4.73 करोड़ वेतन पर खर्च करती है. साल में करीब 56 करोड़ सरकार सिर्फ शिक्षकों के वेतन पर खर्च करती है. औसतन एक विद्यार्थी पर साल में 67 हजार और महीने में पांच हजार रुपये से अधिक खर्च होता है. पांच हजार प्रतिमाह के मासिक शिक्षण शुल्क पर बच्चे किसी भी निजी स्कूल में पढ़ सकते हैं.
वर्ष 2016 के बाद इंटर साइंस का रिजल्ट और हो गया खराब
प्लस टू स्कूलों में विषयवार शिक्षक
जीव विज्ञान 136
गणित 109
अंग्रेजी 95
भौतिकी 105
रसायन 140
अर्थशास्त्र 204
नोट : अर्थशास्त्र के शिक्षक कला व वाणिज्य संकाय के विद्यार्थियों की भी कक्षा लेते हैं. इसके अलावा हिंदी के लिए 213 शिक्षक नियुक्त है. वर्ष 2017 नवंबर में नियुक्त शिक्षकों की नियुक्ति को अभी एक वर्ष नहीं हुए हैं.
मूल्यांकन व परीक्षा प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता
राज्य में इंटर स्तर पर सीबीएसइ का सिलेबस लागू है. मूल्यांकन भी सीबीएसइ के पैटर्न पर करने की बात कही जाती है, पर उसका पालन नहीं हो पाता है. जानकार लोगों का कहना है कि शिक्षकों की नियुक्ति के साथ-साथ परीक्षा व मूल्यांकन प्रक्रिया में बदलाव के बिना रिजल्ट में सुधार नहीं हो सकता.

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