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पर्यावरण पर खतरा सिर्फ शहरों तक ही सीमित नहीं, जंगलों में भी पहुंच गया है

रांची : पर्यावरण मेले में शनिवार को सेमिनार के उद्घाटनकर्ता मेघालय के राज्यपाल गंगा प्रसाद ने कहा कि पर्यावरण पर खतरा सिर्फ शहरों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह गांव और जंगलों तक पहुंच गया है. जीवों की संख्या में लगातार कमी आ रही है तथा कुछ जीव विलुप्त भी हो चुके हैं. औद्योगिक विकास […]

रांची : पर्यावरण मेले में शनिवार को सेमिनार के उद्घाटनकर्ता मेघालय के राज्यपाल गंगा प्रसाद ने कहा कि पर्यावरण पर खतरा सिर्फ शहरों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह गांव और जंगलों तक पहुंच गया है. जीवों की संख्या में लगातार कमी आ रही है तथा कुछ जीव विलुप्त भी हो चुके हैं. औद्योगिक विकास देश के जीडीपी के लिए अहम है, परंतु प्रदूषण जीडीपी पर नकारात्मक प्रभाव डालता है. श्री प्रसाद आड्रे हाउस में आनुवंशिक विविधता, मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण विषय पर अायोजित राष्ट्रीय सेमिनार में बोल रहे थे.

प्लास्टिक पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने की जरूरत : पर्यावरण मेले के पांचवें दिन सेमिनार का आयोजन डीएनए फिंगर प्रिंटिंग के जनक व प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ लालजी सिंह की स्मृति में किया गया था. श्री प्रसाद ने पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण की समस्या की ओर जनमानस व सरकार का ध्यान खींचने के लिए खाद्य आपूर्ति मंत्री सह पर्यावरण चिंतक सरयू राय के प्रयासों की सराहना की. कहा कि जहां एक अोर गंगा से डॉल्फिन गायब होती जा रही है,
वही दामोदर नदी में जैव विविधता बढ़ रही है. श्री प्रसाद ने कहा कि वनरोपण कभी भी जंगल का विकल्प नहीं हो सकता. इसलिए जंगलों का संरक्षण आवश्यक है. उन्होंने निपाह वायरस पर चर्चा करते हुए कहा कि यह पेड़ों की कटाई का परिणाम है कि चमगादड़ों को उनका आश्रय नहीं मिल रहा है तथा वे शहरों की तरफ आकर यह खतरनाक वायरस फैला रहे हैं. राज्यपाल ने जल संरक्षण पर विशेष जोर देते हुए प्लास्टिक पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने की भी बात कही.
राजनीतिक दल अपने एजेंडे में पर्यावरण संरक्षण को शामिल करें: सरयू
अध्यक्षता कर रहे सरयू राय ने कहा कि डीएनए फिंगर प्रिंटिंग के जनक लालजी सिंह की अगुवाई में ही देश और दुनिया के पक्षियों व प्राणियों की पहचान करने की तकनीक खोजी जा सकी. श्री राय ने कहा उनका प्रयास होगा कि 2019 के आम चुनाव के पूर्व सभी राजनीतिक दल अपने एजेंडे में पर्यावरण संरक्षण को प्रमुखता से शामिल करें. हैदराबाद स्थित सेंटर फॉर सेल्यूलर एंड मॉलिक्यूलर साइंस के वरीय वैज्ञानिक डॉक्टर सुनील कुमार ने स्वर्गीय लालजी सिंह के साथ किये अपने कार्यों की चर्चा की व कहा कि 1999 में भारत में ही विश्व में पहली बार पक्षियों के डीएनए की जांच की गयी. इस तकनीक ने मृत जानवरों के डीएनए की पहचान को संभव बनाया.
डॉल्फिन मैन आरके सिन्हा ने कहा कि डॉ लालजी सिंह भारत के लाल थे. उनकी योजना भारत के सभी लोगों के डीएनए मैपिंग की थी जिससे अानुवंशिक रोगों का इलाज संभव होता. सिम्फर, धनबाद के निदेशक पीके सिंह ने कहा कि अगर एएसअाइ व एएनआइ डीएनए की पहचान कर ली जाये, तो बीमारियों को कम किया जा सकता है. सेमिनार को झारखंड रक्षा शक्ति विवि के रजिस्ट्रार डॉ एमके जमुआर ने भी संबोधित किया. इससे पहले सबका अौपचारिक स्वागत मधु ने किया.

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