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रांची के आतंकी दानिश व मंजर को 07-07 साल कैद, इन 18 लोगों को एनआइए कोर्ट ने सुनायी सजा, जानें पूरी खबर
रांची : आतंकी संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के केरल स्थित प्रशिक्षण केंद्र में शामिल होने और आतंकी सांठगांठ में संलिप्त पाये जाने को लेकर एर्नाकुलम स्थित राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की विशेष अदालत ने मंगलवार को रांची के दानिश व मंजर इमाम समेत 18 को सात-सात साल सश्रम कारावास की सजा दी […]
रांची : आतंकी संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के केरल स्थित प्रशिक्षण केंद्र में शामिल होने और आतंकी सांठगांठ में संलिप्त पाये जाने को लेकर एर्नाकुलम स्थित राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की विशेष अदालत ने मंगलवार को रांची के दानिश व मंजर इमाम समेत 18 को सात-सात साल सश्रम कारावास की सजा दी है. दानिश व मंजर बरियातू के रहनेवाले हैं. अदालत ने सभी को अन लॉ फुल एक्टिविटीज प्रीवेंशन एक्ट (यूएपीए), विस्फोटक अधिनियम व 120बी के तहत सोमवार को दोषी करार दिया था. सजा पानेवालों में सिमी के सरगना सफदर नागौरी भी शामिल है़ कोर्ट ने मंजर इमाम सहित 13 दोषियों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
दानिश सहित पांच दोषियों को सजा के अलावा पांच-पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है. सफदर नागौरी मध्यप्रदेश के एक पुलिसकर्मी का बेटा है. उसने 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद अपनी गतिविधियां शुरू की थी. पुलिस रिकाॅर्ड में उसका नाम 1998 में आया. भारत सरकार ने सिमी को 2001 में बैन कर दिया था. इस मामले का एक अन्य अभियुक्त मध्यप्रदेश निवासी महबूब 2016 में भोपाल मेंं हुए एनकाउंटर में मारा गया. जबकि उत्तरप्रदेश निवासी वासिब बिल्ला अब भी फरार है.
17 बरी किये गये थे
एनआइए की विशेष अदालत में 35 आरोपितों पर ट्रायल चल रहा था. इनमें 33 आरोपी अहमदाबाद, दिल्ली, भोपाल व बेंगलुरु की जेलों में बंद हैं. इनकी पेशी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हुई. दो आरोपियों को कोर्ट में सशरीर लाया गया था. मामले की सुनवाई के दौरान 77 गवाहों के बयान दर्ज किये गये थे. आरोपियों के खिलाफ 252 दस्तावेज व 43 वस्तुओं को साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया गया था. सुनवाई के बाद कोर्ट ने 17 आरोपियों को बरी कर दिया था, जबकि 18 को दोषी करार दिया था.
इन्हें सुनायी गयी सजा
दानिश (बरियातू, रांची, झारखंड), मंजर इमाम (बरियातू, रांची, झारखंड), सादुली (केरल), हफीज हुसैन (कर्नाटक), सफदर नागौरी (मध्य प्रदेश), पीए शिबिली (केरल), मोहम्मद अंसार (केरल), अब्दुल सथार (केरल), अमील परवेज (मध्य प्रदेश), डा मिर्जा अहमद बेग , शकील अहमद, डा. एचए असादुल्ला, मोहम्मद शामी बगेवाड़ी, नदीम सईद (कर्नाटक), मुफ्ती अबुल बशर (उप्र), कमरुद्दीन नागोरी (मध्य प्रदेश), मोहम्मद अबु फैसल खान (महाराष्ट्र) व आलम जेब अफरीदी (गुजरात).
किस एक्ट में किसको कितनी सजा दी गयी
-10 ऑफ यूएपी एक्ट : सभी 18 दोषियों को सश्रम एक-एक साल की सजा और 25-25 हजार रुपये का जुर्माना
-38 ऑफ यूएपी एक्ट : सभी 18 दोषियों को सश्रम पांच-पांच साल की सजा
-सेक्शन-4 एक्सप्लोसिव सबस्टांस एक्ट : सभी 18 दोषियों को सात-सात साल की सजा और 25-25 हजार रुपये जुर्माना
-120बी, सेक्शन 10 व 38 ऑफ यूएपी एक्ट : सभी 18 दोषियों को सात-सात साल की सजा.
नोट : सभी सजाएं साथ चलेगी.
इन 13 दोषियों को 50 हजार रुपये का अतिरिक्त सजा दिया गया :
एनआइए की विशेष अदालत ने कुल 18 दोषियों में से 13 को 20 ऑफ यूपीए एक्ट के तहत 50-50 हजार रुपये जुर्माना और सात-सात की सजा भी सुनायी है. इनमें मंजर इमाम, सादुली, हफीज हुसैन, सफदर नागौरी, पीए शिबिली, मोहम्मद अंसार, अब्दुल सथार, अमील परवेज, नदीम सईद, डा. एचए असादुल्ला, कमरुद्दीन नागोरी, शकील अहमद व डा मिर्जा अहमद बेग शामिल हैं.
2008 में 43 लोगों पर हुई थी प्राथमिकी
केरल के कोट्टायम स्थित मुंडाकयाम थाने में 21 जून 2008 कोकांड संख्या 257/2008 में 43 आरोपियों पर आतंकी गतिविधियों में शामिल होने और आर्म्स एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. इस कांड को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने 21 जनवरी 2010 को टेकओवर किया था. मामले में नयी प्राथमिकी दर्ज की थी. केस प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी के प्रशिक्षण कैंप से संबंधित था. एनआइए ने पहली चार्जशीट 13 जनवरी 2011 को 30 आरोपियों के खिलाफ दाखिल की थी. छह आरोपियों पर पूरक चार्जशीट 29 जुलाई 2013 को और अंतिम रूप से पूरक चार्जशीट 38 आरोपियों के खिलाफ 30 दिसंबर 2015 को दाखिल की थी.
गोल्ड मेडलिस्ट है मंजर इमाम :
मंजर इमाम उर्फ जमील उर्फ अबू हनीफा (पिता : अली इमाम खान) रांची के बरियातू का निवासी है. मंजर ने बरियातू सरकारी उच्च विद्यालय से मैट्रिक, रांची कॉलेज से इंटर, स्नातक व स्नातकोत्तर किया. तत्कालीन केंद्रीय मंत्री अरुण सिंह व तत्कालीन राज्यपाल सैय्यद सिब्ते रजी के साथ तत्कालीन मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने उर्दू स्नातकोत्तर में इसे गोल्ड मेडल दिया था.
देश द्रोह का आरोप खारिज : एनआइए ने सभी आरोपियों के खिलाफ भारत सरकार के खिलाफ देशद्रोह करने और समाज में वैमनश्य के उद्देश्य से जंग छेड़ने के लिए हथियार एकत्र करने के आरोप लगाये थे. हालांकि सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इन आरोपों को खारिज कर दिया.
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