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सरकार के सर्वे में लोगों ने डीबीटी को नकारा

रांची : सरकार की अोर से रांची के नगड़ी प्रखंड में कराये गये सर्वे में जनता ने डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) स्कीम को नकार दिया है. यह योजना अक्तूबर 2017 में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इस प्रखंड में लागू की गयी थी, जिसमें पीडीएस के लाभुकों को सस्ते राशन की जगह सीधे 31 रुपये […]

रांची : सरकार की अोर से रांची के नगड़ी प्रखंड में कराये गये सर्वे में जनता ने डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) स्कीम को नकार दिया है. यह योजना अक्तूबर 2017 में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इस प्रखंड में लागू की गयी थी, जिसमें पीडीएस के लाभुकों को सस्ते राशन की जगह सीधे 31 रुपये प्रति किलो चावल की दर से उनके खाते में पैसा ट्रांसफर किया जाता है, जिससे वह राशन की दुकान से अनाज खरीद सकें. पहले लोग पीडीएस दुकान से एक रुपये प्रति किलो के हिसाब से राशन लेते थे.

लोगों के मत से केंद्र को अवगत करायेगी सरकार
राज्य सरकार के सोशल ऑडिट यूनिट द्वारा कराये गये इस सर्वे में अाठ हजार से ज्यादा लोगों से उनकी राय ली गयी है. हालांकि अभी सर्वे के अंतिम नतीजे नहीं आये हैं. इधर, खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय के अनुसार उन्हें इस बात की आशंका पहले से थी कि लोग नयी व्यवस्था को अपना समर्थन नहीं देंगे. मंत्री के अनुसार राज्य सरकार लोगों के मत से केंद्र को अवगत करायेगी कि वह डीबीटी से खुश नहीं है. दरअसल, सर्वे के दौरान नगड़ी के लोगों ने डीबीटी स्कीम को लेकर कई परेशानियां बतायी. इनमें खाते में वक्त पर पैसा न आना, मृत व्यक्ति के खाते में डीबीटी का पैसा आना, बुजुर्गों के खाते में पैसा आने पर बैंक जाने में परेशानी, डीबीटी राशि बैंक से न मिल कर प्रज्ञा केंद्र से मिलना तथा इ-पॉश मशीन तथा आधार से जुड़ी समस्याएं शामिल हैं.
मंत्री के अनुसार यह योजना लागू करने से पहले जमीनी हकीकत देखना जरूरी है. गौरतलब है कि अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज की निगरानी में छात्रों ने भी एक सर्वे किया है, जिसमें 97 फीसदी लोगों ने डीबीटी के मुकाबले सरकारी दुकान से सस्ता राशन लेने को अपनी पसंद बताया है. ज्यां के अनुसार डीबीटी को लेकर नगड़ी में किया गया प्रयोग तर्कहीन व गैरकानूनी होने के साथ-साथ अमानवीय भी है.
अाठ हजार लोगों के बीच अब
तक हुअा सर्वे, अभी नहीं आया है अंतिम निर्णय
97 फीसदी लोगों ने सरकारी दुकान से राशन लेने को अपनी पसंद बतायी

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