रांची : झारखंड के फिल्मकार मेघनाथ और बीजू टोप्पो की डॉक्यूमेंट्री फिल्म नाची से बांची को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है.इसका निर्माण फिल्म्स डिविजन ने कराया है.बेस्ट बॉयोग्राफिकल हिस्टोरिकल रिकंस्ट्रक्शन श्रेणी में फिल्म को यह सम्मान मिला है. अगले महीने की तीन तारीख को फिल्म का पुरस्कार इनके हाथों में होगा.यह फिल्म मेघनाथ, बीजू टोप्पो, गुंजल इकिर मुंडा और रूपेश कुमार साहू के सम्मिलित प्रयास का परिणाम है.इस फिल्म को भारत सरकार के सूचना व प्रसारण मंत्रालय द्वारा आयोजित मुंबई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में भी ज्यूरी अवार्ड से सम्मानित किया गया है.
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मेघनाथ और बीजू टोप्पो की डॉक्यूमेंट्री फिल्म नाची से बांची को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार
रांची : झारखंड के फिल्मकार मेघनाथ और बीजू टोप्पो की डॉक्यूमेंट्री फिल्म नाची से बांची को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है.इसका निर्माण फिल्म्स डिविजन ने कराया है.बेस्ट बॉयोग्राफिकल हिस्टोरिकल रिकंस्ट्रक्शन श्रेणी में फिल्म को यह सम्मान मिला है. अगले महीने की तीन तारीख को फिल्म का पुरस्कार इनके हाथों में होगा.यह फिल्म मेघनाथ, बीजू टोप्पो, गुंजल […]
फिल्म प्रो रामदयाल मुंडा के जीवन और उनके योगदान पर आधारित है. फिल्म फेस्टिवल में ‘नाची से बांची’ को झारखंड की आदिवासी संस्कृति को संरक्षित करने के प्रयासों को लिए सम्मान मिला. प्रभात खबर डॉट कॉम ने फिल्मकार मेघनाथ से विशेष बातचीत की. मेघनाथ ने फिल्म को पुरस्कार मिलने पर खुशी जताते हुए कहा, अच्छा लगता है जब आपकी मेहनत को पहचान मिलती है.
मुझे फिल्म बनाने में खुशी मिलती है लेकिन दुख तब उतना ही होता है जब फिल्में आम लोगों तक, स्कूल, कॉलेज के बच्चों तक नहीं पहुंच पाती. फिल्म बनती है लेकिन उसे दिखाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं होती. मैं चाहता था कि "नाची से बांची " जैसी फिल्में बच्चों को जरूर दिखानी चाहिए ताकि झारखंड को नया रामदयाल मुंडा मिले.
मेघनाथ कहते हैं अवार्ड मिला है इसकी खुशी है अच्छा लगता है जब आपकी फिल्म से एक भी व्यक्ति प्रभावित होता है कुछ सीखता है. अभी कुछ दिन पहले मैं सेंट्रलयूनिवर्सिटीगया था. वहां मुझे एक प्रोफेसर मिले जिन्होंने मिलकर कहा कि मैं आपकी फिल्म देखकर ही प्रोत्साहित हुआ था. आर्यभट्ठ सभागार में उस वक्त मेरी फिल्म के प्रसारण हुआ था. उन्होंने फिल्म के बाद अपनी एक कल्चरल टीम बनायी और काम करने लगे.
मेघनाथ सरकार के रवैये पर भी निराशा जताते हुए कहते हैं झारखंड में प्रतिभाओं की कमी नहीं है. मैं अंडमान पलायन के 100 साल पर फिल्म बनाना चाहता हूं. कई लोगों से मदद मांग रहा हूं. सरकार को भी चिट्ठी लिखकर अपनी मंशा जाहिर की मेरी चिट्ठी किसी कूड़े के डब्बे में पड़ी है. सरकार मदद नहीं कर रही. झारखंड की बातें, यहां के महापुरुषों की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर हो रही है. यह छोटी बात नहीं है. अगर इसे आगे ले जाना है तो सरकार को भी हाथ बढ़ाना चाहिए.
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