रांची: 20 माह बाद झारखंड राज्य मनरेगा परिषद की दूसरी बैठक शुक्रवार को एटीआइ में हुई. पहली बैठक 27 सितंबर-2011 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अजरुन मुंडा की अध्यक्षता में हुई थी. दूसरी बैठक राज्यपाल की अध्यक्षता में हुई. जबकि परिषद के नियम के अनुसार, साल में दो बार बैठक की जानी है. परिषद की बैठक में पिछली कार्यवाही की संपुष्टि हुई. वहीं परिषद के सदस्यों ने मनरेगा में कई सुधार की जरूरत बतायी.
राज्यपाल डॉ सैयद अहमद ने इस बात पर भी चिंता जतायी कि मनरेगा जैसी योजना होने के बावजूद मजदूरों का लगातार पलायन हो रहा है. उन्होंने मनरेगा योजना को बेहतर तरीके से संचालित करने की जरूरत बतायी.
परिषद की बैठक में यह बात सामने आयी कि मनरेगा की तहत ली जानेवाली 70 फीसदी योजनाएं अधूरी रह जाती हैं. राशि की कमी बता कर योजना छोड़ दी जाती है. मजदूरों को समय पर भुगतान नहीं हो पाता, जिससे मजदूरों का रुझान मनरेगा के प्रति घट रहा है. जॉब कार्ड की तुलना में आधे से भी कम लोगों को रोजगार मिल पाता है. इसमें भी 100 दिन रोजगार पानेवाले 40 फीसदी से भी कम लोग हैं. सदस्यों ने सुझाव दिया कि मनरेगा की न्यूनतम मजदूरी दर 160 रुपये कर दी जाये.
मनरेगा आयुक्त अरुण ने कहा है कि जल्द ही दूसरी बैठक आयोजित की जायेगी. जो भी सुझाव आये हैं, उन पर अमल किया जायेगा. पंचायतों में एनजीओ के माध्यम से चार वर्ष की योजना बनायी जायेगी.
राज्यपाल के सलाहकार मधुकर गुप्ता ने कहा कि मनेरगा के तहत सभी रिक्त पद भरे जायेंगे. 70 प्रतिशत योजनाएं किसी न किसी रूप से पानी से संबंधित होती हैं. अन्य विभागों की योनजाओं को भी लेने की जरूरत है. मनरेगा में भुगतान के लिए डाकघर के विकल्प तलाशने की जरूरत है. मनरेगा को एक बार फिर से सुव्यवस्थित कर अलग-अलग योजनाओं को लेकर चलाना चाहिए. इसे अभियान के तौर पर लेने की जरूरत बतायी. इसके पूर्व स्वागत भाषण ग्रामीण विकास सचिव आरएस पोद्दार ने दिया. बैठक में राज्यपाल के सलाहकार के विजय कुमार, एटीआइ के महानिदेशक एके पांडेय समेत अन्य अधिकारी व परिषद के सदस्य मौजूद थे.