रांची : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट 2018 पेश कर दिया है. बजट की घोषणाओं पर मिलीजुली प्रतिक्रिया है. रांची प्रेस क्लब और चैंबर ऑफ कामर्स ने मिलकर बजट पर परिचर्चा का आयोजन किया. बजट के बाद प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने वहां मौजूद लोगों से बजट पर उनकी प्रतिक्रिया पूछी. पढ़ें क्या कहते हैं कारोबारी, नेता, सीए, छात्र और युवा.
क्या कहते हैं व्यापारी
कुणाल आजवानी (चैंबर ऑफ काॅमर्स के सचिव )
सरकार ने काफी संतुलित बजट पेश किया गया है. हर तरह के लोगों को लुभाने की कोशिश हुई है. मुख्य रूप से कृषि, गांव, सामाजिक और रोजगार पर फोकस किया गया है. जीएसटी को लेकर व्यापारी अब भी फंसे हैं, उसमें ज्यादा बदलाव नहीं किये गये हैं. छोटे व्यापारियों के लिए थोड़ी छूट मिल सकती थी. इससे करदाता बढ़ते और दवाब भी कम आता. कर का दायरा बढ़ाने की कोशिश. जीएसटी के बाद यह पहला बजट है. यह बड़ा बदलाव था. हम उम्मीद करते हैं कि सबकुछ तुरंत ठीक हो जाए तो संभव नहीं है. अब ईवे बिल आ रहा है उसके लिए हम वक्त मांग रहे हैं. राज्य भी इसे लेकर फैसला ले सकता है हम राज्य सरकार से उम्मीद करते हैं कि हमें वक्त मिलेगा.
दीपक मारू ( JCIA उपाध्यक्ष )
कुलमिलाकर बजट अछ्छा है. योजना अच्छी है जब यह धरातल पर उतरेंगी तो और बेहतर समझ सकेंगे. गरीब जनताओं को ध्यान में रखकर स्वास्थ्य बीमा योजना लायी गयी है इन क्षेत्रों में बहुत परेशानियां है. भारत में शिक्षा का स्तर कम है बिहार- झारखंड के हालात हम देख रहे हैं. शिक्षा में सुधार की जरूरत है. स्कूलों में शिक्षक नहीं है इस पर ध्यान देना चाहिए. टीचर ट्रेनिग को लेकर जो फैसले लिये गये हैं अच्छे है. यह सुधार जरूरी है. इंडस्ट्री में सरकार ने 3794 करोड़ का फंड दिया है. इसके डिटेल अबतक नहीं आये हैं. यह तो स्पष्ट है कि पैसा हमारे पास आने वाला है. इससे हमें मदद मिलेगी. क्या है उम्मीदों का बजट है इस पर दीपक कहते हैं यह हमारे भविष्य का बजट है उम्मीदों का तो नहीं कह सकते . यह नहीं दिखा दिखायेगा. हमें जो फंड मिला है वह काफी मदद मदेगा.
राजनीतिक प्रतिक्रिया
दीपक प्रकाश ( भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष )
बजट तारीफ के लायक है. मोदी सरकार जनता के हित के लिए काम कर रही है. जनता को केंद्र में रखकर सरकार ने फैसला लिया है. एकलव्य आवासीय विद्यालय की स्थापना हुई है . कृषि के लिए किसान को जो सुविधाएं मिली है उसके लिए भी झारखंड की जनता भाजपा सरकार की आभारी है. टैक्स के पैसे से योजना बनती है. टैक्स पर कोई बदलाव नहीं हुए लेकिन ज्यादा से ज्यादा लोग टैक्स भर चुके यह कोशिश है.
कांग्रेस (प्रवक्ता राजीव रंजन )
इस बजट से निराशा हुई है. मध्यम वर्ग के लिए इस बजट में कुछ नहीं है. टैक्स पर कोई बदलाव नहीं आया. इस बजट से नौजवानों को ठगने की कोशिश हुई. किसान आत्महत्या कर रहे हैं. इतना कम इंडस्ट्रीयल ग्रोथ है. लंबी चढ़ाई की कोशिश जरूर हुई लेकिन कुछ हुआ नहीं. यह बजट ना व्यवसायी के लिए ना युवाओं के लिए. सरकार योजना बना रही लेकिन स्पष्टता कहीं नहीं दिखती. गांव , गरीब किसानों को ठगने की कोशिश जरूर हुई.
बजट के जानकारों की राय क्या है
आर. के गाड़ोदिया (चार्टर्ड अकाऊंटैंट)
बजट की मूल बात यह है कि थोड़ा फाइनेंसियल अनुसासन लाने की कोशिश की गयी है. जहां तक बात है राहत देने की तो सरकार चार सालों से एक ही चीज पर फोकस कर रही है. हम इसे इलेक्शन से पहले का बजट मानते हैं तो वेतनभोगियों को राहत देने की कोशिश की गयी है. हिंदुस्तान में पहली बार 40 हजार का स्टैंड डिडक्शन दिया गया है. वरिष्ठ नागरिकों को भी राहत मिली है. फिक्स्ड डिपोजिटिव पर ब्याज में 50 हजार की छूट दी गयी है. यह दस हजार पर 50 हजार नहीं है यह पूरा 50 हजार है पहले 10 हजार में सिर्फ सेविंग बैक अकाउंट पर मिलता था अब सभी चीजों में मिलेगा. इसमें छूट मिलना बड़ी राहत है. इस बजट में महिलाओं के लिए कुछ भी नहीं है. ग्रामीण महिलाओं को जरूर राहत दिया गया है.
युवा क्या कहते हैं
युवा व्यपारी राजीव रंजन
मध्यम वर्ग के लिए इस बजट में कुछ भी नहीं है. यह आम लोगों को बजट नहीं है. क्रिप्टो करेंसी को लेकर वित्त मंत्री ने जो घोषणा की उससे लोगों को राहत मिली. उम्मीदे थी कि हमें टैक्स में थोड़ी राहत मिलेगी. मध्यम वर्ग के लोग जो चाह रहे थे उसमें कुछ राहत मिली.
आशुतोष द्विवेदी ( छात्र, एबीवीपी)
आदिवासियों के लिए माॅर्डन स्कूल खोलने की योजना अच्छी है. 24 मेडिकल कॉलेज खोलने को लेकर सरकार का फैसला छात्रों के लिए है.