रांचीः लोक लेखा समिति (पीएसी) ने 12 वर्षों के दौरान महालेखाकार द्वारा उठायी गयी 235 गंभीर आपत्तियों पर अपनी राय नहीं दी है. इस दौरान रघुवर दास और सौरभ नारायण सिंह पीएसी के अध्यक्ष रहे हैं. दोनों के कार्यकाल में बीज घोटाले के आरोपी मंत्री नलिन सोरेन पीएसी के सदस्य रहे हैं. राज्य गठन के बाद से वित्तीय वर्ष 2011-12 तक की अवधि में महालेखाकार ने ऑडिट रिपोर्ट में 429 प्रकार की गंभीर वित्तीय व अन्य प्रकार की अनियमितताओं का उल्लेख किया.
विधानसभा में पेश रिपोर्ट में वर्णित इन अनियमितताओं पर पीएसी को तीन माह के अंदर अपनी राय देने का नियम है, लेकिन पीएसी ने सिर्फ 194 आपत्तियों का ही जवाब दिया है. शेष 235 पर अब तक अपनी कोई राय नहीं दी गयी है. इधर, एक रिपोर्ट पर भी नहीं मिली राय वित्तीय वर्ष 2010-11 और 2011-12 की समाप्ति पर विधानसभा में ऑडिट रिपोर्ट में वर्णित आपत्तियों में से एक पर भी पीएसी ने अपनी राय नहीं दी है. वित्तीय वर्ष 2010-11 की रिपोर्ट विधानसभा में छह अगस्त 2012 को पेश की गयी थी. इसमें 32 गंभीर आपर्त्तियां उठायी गयी थीं.
इस रिपोर्ट पर 2012-13 की लोक लेखा समिति को अपनी राय देनी थी. इस समय सौरभ नारायण सिंह पीएसी के अध्यक्ष थे. लक्ष्मण गिलुआ, अमित कुमार, अरुण मंडल और नलिन सोरेन समिति के सदस्य थे. वित्तीय वर्ष 2011-12 की रिपोर्ट विधानसभा में 27 जुलाई 2013 को पेश की गयी थी. इसमें 25 गंभीर आपर्त्तियां उठायी गयी थीं, लेकिन समिति ने किसी पर भी अपनी राय नहीं दी. इस रिपोर्ट पर 2013-14 में रघुवर दास की अध्यक्षता में बनी पीएसी को राय देनी थी. समिति में लक्ष्मण गिलुआ, अमित कुमार, बन्ना गुप्ता और नलिन सोरेन सदस्य थे. दोनों की लोक लेखा समिति में शामिल नलिन सोरेन राज्य में हुए बीज घोटाले के आरोपी हैं.