रांची: बिरसा कृषि विवि (बीएयू) में हुए नियुक्ति घोटाला संबंधी जांच की रिपोर्ट राजभवन को सौंप दी गयी है. झारखंड उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश विक्रमादित्य प्रसाद को इसकी जांच का जिम्मा मिला था.
करीब तीन माह की जांच व पूछताछ के बाद यह रिपोर्ट तैयार हुई है. इस दौरान बीएयू के पूर्व कुलपति प्रो एनएन सिंह से भी चार घंटे की सघन पूछताछ की गयी.
सूचना के मुताबिक रिपोर्ट में अवैध नियुक्ति के एवज में पैसे के लेन-देन का स्पष्ट पता नहीं चल पाया है. हालांकि नियुक्ति अवैध होने की बात इसमें साफ है. साक्षात्कार बोर्ड को भी दोषी माना गया है. रिपोर्ट पर कार्रवाई संबंधी निर्णय राज्यपाल लेंगे. गौरतलब है कि वर्ष 2007 में यह प्रकाश में आया था. उस समय राजबाला वर्मा कृषि सचिव थीं. वर्ष 2007 में जब एनएन सिंह बीएयू के कुलपति थे, उस वक्त विवि में नियुक्ति व निर्माण कार्यो की विभागीय जांच की गयी थी. इसमें कई गड़बड़ियों का खुलासा हुआ था. बाद में इन नियुक्तियों को रद्द करने के आदेश का भी विवि प्रबंधन ने अनुपालन नहीं किया था.
बीएयू के कुलपति को राजबाला का पत्र (15.1.07): तत्कालीन कृषि सचिव ने लिखा था कि पूर्व में भी आपको अवैध नियुक्तियों को रद्द करने का निर्देश दिया गया था. पुन: इसकी अवहेलना होती है, तो मामले की गंभीरता को देखते हुए विभाग समुचित कार्रवाई के लिए बाध्य होगा. अनियमितताओं की विस्तृत विवरणी संलग्न की जा रही है. जांच के आधार पर आपके विरुद्ध प्रथम दृष्टया आरोप प्रमाणित हो रहे हैं.