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भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग नहीं

रांची: राजधानी का भूगर्भ जलस्तर पाताल की ओर जा रहा है. नगर निगम के चापाकल दम तोड़ रहे हैं. निजी कुएं सूख रहे हैं. सामान्य बोरिंग (300-350 फीट तक) भी जवाब देने लगी हैं. जलस्तर दिनों-दिन गिर रहा है. इसके बावजूद न तो सरकार गंभीर है और न ही नगर निगम. इसका खामियाजा शहरवासी भुगतने […]

रांची: राजधानी का भूगर्भ जलस्तर पाताल की ओर जा रहा है. नगर निगम के चापाकल दम तोड़ रहे हैं. निजी कुएं सूख रहे हैं. सामान्य बोरिंग (300-350 फीट तक) भी जवाब देने लगी हैं. जलस्तर दिनों-दिन गिर रहा है. इसके बावजूद न तो सरकार गंभीर है और न ही नगर निगम. इसका खामियाजा शहरवासी भुगतने को विवश हैं. विशेषज्ञ भी सवाल उठाने लगे हैं.

उनका कहना है कि भूगर्भ जलस्तर को बनाये रखने के लिए ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो डीप बोरिंग(800-1000 फीट) भी शीघ्र फेल होने लगेगी. भूगर्भ जल रिचार्ज कैसे हो, इस पर ठोस कदम उठाने की जरूरत है. हर घर में वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था को भी अनिवार्य बताया जा रहा है.

शपथ पत्र लेते हैं, लेकिन नियम पालन नहीं करते : जल स्तर को नीचे गिराने में रांची नगर निगम की महत्वपूर्ण भूमिका है. निगम से इसी शर्त पर नक्शा मंजूर करता है कि भवन निर्माण के समय बिल्डिंग में वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था जरूरी होगी, लेकिन इन शर्तो का पालन नहीं किया जाता है. निगम से प्राप्त जानकारी के अनुसार मंजूर नक्शे में सिर्फ 10 प्रतिशत भवन ही ऐसे हैं, जिन्होंने वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था की है. बाकी में शपथ पत्र तक ही सीमित है.

हर साल 2000 भवनों का पास होता है नक्शा : निगम से प्राप्त जानकारी के अनुसार हर वर्ष 2000 नक्शों की मंजूरी दी जाती है. 14 वर्षों में नगर निगम व आरआरडीए ने 22 हजार से अधिक इमारतों के नक्शे की मंजूरी दी है. इसमें सिर्फ दो हजार भवनों में ही वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था है.

प्रमुख भवन, जहां है वाटर हार्वेस्टिंग

राजभवन, मुख्यमंत्री आवास, सचिवालय, समाहरणालय, रांची नगर निगम व आरआरडीए.

40-45 हजार रुपये में बनता है रिचार्ज पीट
वाटर हार्वेस्टिंग पर छोटे घरों में 40-45 हजार रुपये खर्च होते हैं. घर के खाली स्थान पर 50-60 फीट की बोरिंग करवायी जाती है. इसके चारों ओर 8-10 फीट के एक हॉज का निर्माण होता है. फिर इसे पत्थर, बालू व चारकोल से भर दिया जाता है. रिचार्ज पीट निर्माण होने के बाद इसे घर की छत व छज्जे से लगे एक सेंट्रलाइज पाइप से जोड़ दिया जाता है. इससे बारिश का पानी छत व छज्जे पर गिर कर इस पाइप के माध्यम से सीधे रिचार्ज पीट में आकर गिरता है. बारिश का यही पानी जमीन में चला जाता है.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ
भूगर्भ जल का दूसरा विकल्प नहीं है. इसे बचाने का एकमात्र उपाय है कि हम वर्षा जल का संरक्षण करें. इसके लिए घर में वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था करनी होगी. क्योंकि बिना भूगर्भ जल के रिचार्ज हुए यह कल्पना ही नहीं कर सकते हैं कि हमें आसानी से पीने का पानी मिलेगा. अब भी नहीं चेते, तो आने वाले समय में डीप बोरिंग से भी पानी निकालना मुश्किल होगा.

नीतीश प्रियदर्शी, पर्यावरणविद

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