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आदिवासियों का परंपरागत औषधीय ज्ञान समृद्ध, शोध हो
आयोजन. वनस्पति विज्ञानी डॉ अनिल गोयल ने कहा रांची : लखनऊ से आये वरीय वनस्पति विज्ञानी डॉ अनिल गोयल ने कहा कि चीन में प्राथमिक चिकित्सा ज्यादातर वहां के परंपरागत वनस्पति अौषधि चिकित्सक करते हैं. उन्होंने इस दिशा में काफी प्रगति की है. झारखंड आदिवासी बहुल क्षेत्र है अौर यहां की वनस्पति तथा जैव विविधता […]
आयोजन. वनस्पति विज्ञानी डॉ अनिल गोयल ने कहा
रांची : लखनऊ से आये वरीय वनस्पति विज्ञानी डॉ अनिल गोयल ने कहा कि चीन में प्राथमिक चिकित्सा ज्यादातर वहां के परंपरागत वनस्पति अौषधि चिकित्सक करते हैं. उन्होंने इस दिशा में काफी प्रगति की है. झारखंड आदिवासी बहुल क्षेत्र है अौर यहां की वनस्पति तथा जैव विविधता काफी समृद्ध है. एथनो या ट्राइबल मेडिसिन पर आज पूरे विश्व की नजर है.
अमेरिका में एथनो मेडिसिन पर विश्वविद्यालय स्तर पर काम हो रहा है. जरूरी है कि झारखंड अौर देश के अन्य आदिवासी क्षेत्रों में जंगली जड़ी बूटियों से होनेवाली चिकित्सा पर अौर शोध हो. अगर हम इसे डब्ल्यूएचअो के मानकों के मुताबिक तैयार कर सकें अौर पेटेंट करें, तो पूरे विश्व में इसकी पहचान अौर मांग में इजाफा होगा.
डॉ अनिल गोयल शुक्रवार को गोस्सनर कंपाउंड स्थित एचआरडीसी सभागार में आयोजित एथनो मेडिसिन फॉर द वेलफेयर ऑफ ह्यूमन बीइंग एंड ट्राइबल हेल्थ पर आयोजित परिचर्चा में बोल रहे थे.
इस अवसर पर झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के परियोजना निदेशक परितोष उपाध्याय ने कहा कि सोसाइटी त्रिफला, कालमेघ, सर्पगंधा, तुलसी, लेमन ग्रास जैसे अौषधि गुणों वाले पौधों पर काम कर रही है. महुआ में भी अौषधि गुण है अौर हम इसके भी खाद्य अौर अौषधि गुणों को लेकर काम करना चाहते हैं.
होड़ोपैथी चिकित्सक डॉ पीपी हेंब्रोंम ने कहा कि कुपोषण पूरे भारत में अौर खासकर झारखंड में बड़ी समस्या है. इनसे निबटने में परंपरागत अौषधीय ज्ञान काफी सहायक सिद्ध हो सकता है. जरूरी है कि उस ज्ञान को पुन: स्थापित किया जाये. हम पौधों को पहचानें अौर छोटी-मोटी बीमारियों में जड़ी-बूटियों से अपना इलाज खुद करें.
डॉ वासवी किड़ो ने कहा कि कुपोषण अौर एनिमिया को आदिवासी क्षेत्रों में दूर करने में एथनो मेडिसिन काफी उपयोगी है. एथनो मेडिसिन में पांच हजार पौधों की पहचान की गयी है, जिनका अौषधीय इस्तेमाल हो सकता है. उत्तराखंड से आये डॉ सुधीर चंद्रा, प्रो अमिता मुंडा सहित अन्य लोगों ने भी अपनी बातें रखी. इस अवसर पर रांची के आसपास के क्षेत्रों से आयी ग्रामीण महिलाअों के द्वारा बनाये गये महुआ लड्डू की लांचिंग हुई. महुआ पुस्तक का भी विमोचन किया गया.
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