रांची: झारखंड राज्य में छह माह में टीबी के 18422 नये मरीज मिले हैं. इनमें से 618 मरीजों की मौत हो चुकी है. पूरे देश में एक घंटा में लगभग सौ लोगों की मौत टीबी से हो जाती है. यह आंकड़ा होटल कैपिटोल हिल में टीबी पर आयोजित मीडिया वर्कशॉप में पेश किया गया. स्वास्थ्य विभाग, रीच व यूएसएड के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में राज्य टीबी पदाधिकारी डॉ राजकुमार बेक, नोडल अफसर डॉ राकेश दयाल व विशेषज्ञ राजीव रंजन उपस्थित थे.
अब टीबी के मरीजों को हर दिन दी जायेगी दवा
डॉ बेक ने बताया कि टीबी के मरीजों को अब हर दिन डॉट पद्धति से दवा दी जायेगी. पहले यह दवा एक दिन के अंतराल पर दी जाती थी. अब दवा में कुछ परिवर्तन हुआ है. प्रारंभ में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में भारत सरकार ने हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, बिहार, महाराष्ट्र और केरल में इसे प्रारंभ किया था. 17 अक्तूबर से यह झारखंड में आरंभ होने जा रहा है. नामकुम आरसीएच में स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी इसका उदघाटन करेंगे. डॉ राकेश दयाल ने बताया कि पहले सप्ताह में तीन दिन डॉट के तहत दवा दी जाती थी. अभी भी डॉट के तहत ही दवा दी जायेगी, पर हर दिन दी जायेगी. छह माह से दो साल तक दवा खिलायी जाती है.
दवा डॉट प्रोवाइडर ही उपलब्ध करायेंगे. दवा पूरी तरह नि:शुल्क है. सरकार का प्रयास है कि निजी क्लिनिक से इलाज कराने वाले लोगों को भी नि:शुल्क दवा मिले. इसके लिए प्रयास किये जा रहे हैं. दवा की आपूर्ति सभी जिलों में हो चुकी है. सहिया भी आसपास के मरीजों को दवा खिलायेंगी. उन्होंने कहा कि टीबी रोकने का एक ही तरीका है कि मरीजों को दवा खिलायी जाये.
भारत में 28 लाख टीबी के मरीज हर साल मिल रहे हैं
डॉ राजीव रंजन ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया कि भारत में 28 लाख टीबी के मरीज हर साल मिल रहे हैं, जिसमें 1400 की मौत प्रतिदिन होती है. भारत में प्रति एक लाख की आबादी में 200 से 299 टीबी के मरीज मिलते हैं. दुनिया में 2030 तक टीबी के पूर्ण उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया है, पर भारत सरकार ने कहा है कि 2025 तक भारत से टीबी का समूल नाश किया जाना है. इसके लिए हर स्तर पर प्रयास हो रहे हैं. अब डेली दवा देने से इस पर अंकुश लग सकता है. उन्होंने कहा कि टीबी के मरीज बीमारी को छिपायें नहीं, बल्कि सामने आकर दवा लें. इसका इलाज पूरी तरह संभव है. बशर्ते निर्धारित समय पर दवा ली जाये.