रांची: खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने कहा कि सामाजिक अंकेक्षण का स्वतंत्र निदेशालय होना चाहिए. इस समय 8़ 3 प्रतिशत विकास दर के साथ झारखंड काे गुजरात के बाद दूसरे स्थान पर बताया जा रहा है, जबकि राज्य में सबसे अधिक 14- 15 प्रतिशत का विकास दर मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के समय था़.
विकास का काम जमीन पर दिखना चाहिए़ विकास से जुड़े आंकड़े धोखा देने वाले हैं इसलिए आर्थिक विशेषज्ञों का विश्लेषण जरूरी है़ वे इस विषय पर प्रधानमंत्री से चर्चा करेंगे़ भूख और कुपोषण पर काम करने वाले लोगों की भावना को भी जमीन पर उतारने की जरूरत है. वे भोजन का अधिकार अभियान द्वारा ‘भोजन, भूख व कुपोषण’ पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के उदघाटन सत्र में बोल रहे थे़.
यह आयोजन गोस्सनर कंपाउंड स्थित एचआरडीसी सभागार में हुआ़ उन्होंने राशन वितरण में इ-पॉश मशीन के इस्तेमाल आैर राशन कार्ड बनाने की ऑनलाइन प्रकिया पर कहा कि आम लोगों को यह समझ में आनी चाहिए़ तकनीक गुलाम हो सकता है, मालिक नही़ं पर यह मानसिकता बन गयी है कि मशीन ही मास्टर है और अधिकारी व सरकार इसकी वाहवाही ले लेते हैं. सरकार के क्रिया कलाप में आलोचना का अंग भी शामिल होना चाहिए.
जरूरत से कम मिल रहा अनाज : खाद्य सुरक्षा मामले में सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व राज्य सलाहकार बलराम ने कहा कि खाद्य सुरक्षा कानून के अंतर्गत प्रति व्यक्ति मात्र पांच किलो अनाज का प्रावधान है, जबकि प्रति व्यक्ति 14 किलो अनाज की जरूरत होती है. उन्होंने कहा कि आदिम जनजातियों के लिए डाकिया योजना में सही ढंग से पैकेजिंग नहीं हो रहा है. डीबीटी पायलट एक समयावधि में होनी चाहिए और इसके परिणाम का ईमानदारी से विश्लेषण करना चाहिए. जवाहर मेहता व बबीता ने भी विचार रखे.