रांची: बोड़ेया में आदिवासी जमीन को हड़पने के मामले में कांके सीओ प्रभात भूषण ने डीसी और जांच कमेटी की रिपोर्ट की अनुशंसा को दरकिनार कर बरियातू थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. प्राथमिकी कांके सीओ की शिकायत पर 21 जुलाई को दर्ज की गयी थी. डीसी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि इबरार अहमद, इसराफिल अहमद, चंद्रशेखर कुमार और मौर्याज इंफ्रास्ट्रक्चर के द्वारा फर्जी कागजात के आधार पर आदिवासी भूमि को हड़पा गया है. अत: इनके खिलाफ कांके सीओ प्राथमिकी दर्ज करायेंगे.
जांच कमेटी ने सभी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने की अनुशंसा की थी. हालांकि कांके सीओ ने डीसी के आदेश और जांच कमेटी की अनुशंसा को दरकिनार कर प्राथमिकी में मौर्याज इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम का उल्लेख नहीं किया. डीसी का निर्देश यह भी था कि आदिवासी जमीन को गैर आदिवासी के नाम करने वाले व्यक्तियों एवं विक्रेताओं के खिलाफ भादवि की धारा के अलावा अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम में प्राथमिकी दर्ज की जाये. इस अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज कराने की जिम्मेवारी अवर निबंधक की थी. मामले में कांके सीओ ने जो प्राथमिकी दर्ज करायी, उसमें कहीं भी जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम का जिक्र नहीं है.
आदिवासी खाते की जमीन गैर आदिवासी ने हड़प ली
- जांच कमेटी की रिपोर्ट को भी किया दरकिनार
- प्राथमिकी में मौर्याज इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम का उल्लेख नहीं किया
- जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत नहीं दर्ज हुई प्राथमिकी
- सात जून, 2017 को चान्हो सीओ, उप समाहर्ता राजस्व, उप समाहर्ता भूमि सुधार सदर और अपर समाहर्ता ने मामले में संयुक्त रूप से जांच कर रिपोर्ट दी.
डीसी मनोज कुमार ने कमेटी की जांच रिपोर्ट के आधार एक रिपोर्ट तैयार कर मामले में कांके सीओ को प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश दिया.
कांके सीओ की लिखित शिकायत पर बरियातू थाना में कांड संख्या 217/17 के अंतर्गत 21 जुलाई को मामले में प्राथमिकी दर्ज की गयी.
क्या थी जांच कमेटी की अनुशंसा
कमेटी ने जांच रिपोर्ट में लिखा था कि इबरार अहमद और इसराफिल अहमद ने 1946 का फर्जी डीड बनाया. उन्होंने मूल डीड को रजिस्ट्री कार्यालय से हटवा दिया. इसके बाद एसएआर कोर्ट का फर्जी आदेश तैयार कर अंचल कर्मियों के सहयोग से भूमि को अपने नाम करवा लिया. दोनों ने बाद में जमीन चंद्रशेखर कुमार को दे दी. जमीन को चंद्रशेखर ने मार्याज इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के डॉयरेक्टर रिपुंजय प्रसाद सिंह को बेच दी. इस तरह इबरार अहमद, इसराफिल अहमद, चंद्रशेखर कुमार और मौर्याज इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा फर्जी कागजात के आधार पर आदिवासी जमीन को हड़प ली गयी है.