प्रार्थी की अोर से वरीय अधिवक्ता राजीव रंजन ने लंबी बहस की. उन्होंने खंडपीठ को बताया कि बिहार के समय से विभिन्न पदों पर पुलिस मैनुअल के प्रावधानों के आलोक में ही नियुक्तियां होती रही हैं. झारखंड में भी नियुक्तियां हो रही हैं. पुलिस मैनुअल पूरी तरह से वैधानिक व प्रभावी है. बहस अधूरी रही. वहीं, राज्य सरकार की अोर से अपर महाधिवक्ता जय प्रकाश ने पक्ष रखा. दोनों पक्ष की सहमति के बाद खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 31 अगस्त की तिथि निर्धारित की.
उल्लेखनीय है कि प्रार्थी रिनकेश कुमार यादव, राजू कुमार कश्यप, महेश भगत, हरी मुंडा, राकेश कुमार, गोरख राम, बास्की कुमार दुबे व अन्य की अोर से अलग-अलग याचिका दायर की गयी है. याचिका में कहा गया है कि झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने आरक्षी बहाली के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया था, जिसमें होमगार्ड के जवानों को 50 प्रतिशत आरक्षण देने की बात कही गयी थी. आयोग ने होमगार्ड के जवानों को आरक्षण का लाभ नहीं दिया, बल्कि उन्हें डिसक्वालीफाइ कर दिया. उन्होंने प्रार्थियों को आरक्षण का लाभ देने व नियुक्त करने का आग्रह किया.