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प्रयास: राजधानी का भूगर्भ जल बचाने को निगम ने बनायी नियमावली, जिन इलाकों में है पानी की किल्लत वहां नहीं चलेंगे वाटर ट्रीटमेंट प्लांट
रांची नगर निगम राजधानी के उन क्षेत्रों में मिनी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट चलाने की मंजूरी नहीं देगा, जहां पानी की किल्लत है या जिन्हें वाटर क्राइसिस जोन के रूप में चिह्नित किया गया है. ऐसे प्लांटों पर रोक लगाने के लिए रांची नगर निगम ने नियमावली भी बनायी है. निगम बोर्ड की अगली बैठक में […]
रांची नगर निगम राजधानी के उन क्षेत्रों में मिनी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट चलाने की मंजूरी नहीं देगा, जहां पानी की किल्लत है या जिन्हें वाटर क्राइसिस जोन के रूप में चिह्नित किया गया है. ऐसे प्लांटों पर रोक लगाने के लिए रांची नगर निगम ने नियमावली भी बनायी है. निगम बोर्ड की अगली बैठक में इस प्रस्ताव को पास कराकर लागू कर दिया जायेगा.
रांची: नयी नियमावली के तहत नगर निगम सबसे पहले शहर के सभी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का डाटा एकत्र करेगा. उसके बाद निगम वाटर क्राइसिस जोन में स्थित इन प्लांटों को बंद करने की कार्रवाई शुरू करेगा.
मौजूदा समय में रांची नगर निगम द्वारा शहर के दर्जन भर से अधिक इलाकों को वाटर क्राइसिस जोन के रूप में चिह्नित किया गया है. इन इलाकों में गरमी के दिनों में वाटर लेबल बहुत नीचे चला जाता है. चापाकल फेल हो जाते हैं. साथ ही 300-400 फीट गहरी बोरिंग भी काम करना बंद कर देती है.
कंपनी से प्रति लीटर पानी की दर वसूलेगा नगर निगम : नयी नियमावली के तहत शहर के जिन इलाकों में पानी की किल्लत नहीं है, वहां वाटर ट्रीटमेंट प्लांट चलाने की अनुमति दी जायेगी. हालांकि, संबंधित कंपनी जितना पानी जमीन से निकालेगी, उसे प्रति लीटर के हिसाब से निगम को एक निर्धारित शुल्क देना होगा. कंपनी कितने लीटर भूगर्भ जल का प्रतिदिन दोहन कर रही है, यह जानने के लिए हर कंपनी को अपने बोरवेल में वाटर मीटर लगाना जरूरी होगा.
बोरिंग के लिए भी लेनी होगी अनुमति
नये नियम के तहत अगर कोई व्यक्ति अपने घर में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाता है, तो उसे अपने घर के चार इंच बोरिंग के लिए भी निगम से परमिशन लेनी होगी. ज्ञात हो कि घरेलू उपयोग के चार इंच बोरिंग के लिए निगम से परमिशन लेने की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती है, लेकिन वाटर ट्रीटमेंट प्लांट चलाने के लिए उक्त नियम लागू किया गया है.
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