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गरीबों के पेट में अनाज नहीं , गोदाम में सड़ गये सैकड़ों बोरे, अधिकारी बोले- हम जांच कारायेंगे

रांची : जिस राज्य में किसानों की आत्महत्या एक गंभीर मसला हो, राज्य में खराब फसल और कर्ज में डूबता किसान आत्महत्या कर रहा हो, वहां सैकड़ाें बोरा गेहूं व चावल सड़ जायें तो इसकी जवाबदेही किसकी होनी चाहिए. अनाज खराब होने के बाद नदी में फेंक दिये गये तो कहीं गोदाम में रखे- रखे […]

रांची : जिस राज्य में किसानों की आत्महत्या एक गंभीर मसला हो, राज्य में खराब फसल और कर्ज में डूबता किसान आत्महत्या कर रहा हो, वहां सैकड़ाें बोरा गेहूं व चावल सड़ जायें तो इसकी जवाबदेही किसकी होनी चाहिए. अनाज खराब होने के बाद नदी में फेंक दिये गये तो कहीं गोदाम में रखे- रखे सड़ गये.

कडरू स्थित राज्य खाद्य निगम, एसएफसी के गोदाममें सैकड़ों बोरा गेहूं और् चावल के सड़ जाने की खबर बै को तो दूसरी तरफ सरायकेला-खरसावां जिले के लिए आये एफसीआइ के सैकड़ों बोरे सड़े हुए गेहूं के साक्ष्य छुपाने के लिए सुवर्णरेखा नदी के किनारे फेंकवा दिया गया. राज्य भर में कई जिले हैं जहां गरीबों के पेट तक अनाज नहीं पहुंच रहा. हालांकि अंत्योदय जैसी योजनाएं हैं जिसके तहत गरीबों को 35 किलो प्रति कार्ड अनाज दिया जाता है। जबकि पीएचएच(पूर्व विकता प्राप्त गृहस्थ योजना) योजना के तहत कार्ड में अंकित प्रति व्यक्ति पांच किलो अनाज दिया जाता है.

इसके लिए प्रति किलो एक रुपए की दर से लाभुकों को भुगतान करना पड़ता है. कई जिलों में अत्योदय योजना का लाभ गरीबों तक नहीं पहुंच रहा. उनके हिस्से के अनाज बाजार में बेचे जा रहा है. एक तरफ मुनाफाखोरी जमीनी स्तर पर गरीबोें को परेशान कर रहा है तो दूसरी तरफ खाद्य निगम के भरोसे रखे अनाज सड़ रहे हैं. इनके रखरखाव को लेकर अधिकारी भी निश्चिंत हैं. श्री राय ने कहा कि काफी मात्रा में गेहूं व चावल सड़ गये हैं. यह किस योजना के तहत बांटे जानेवाले अनाज हैं, इस बाबत कागजात के साथ शनिवार को अधिकारियों को बुलाया है. गोदाम की हालत व अधिकारियों की लापरवाही इससे जाहिर होती है कि जो अनाज ठीक हैं, उसी के बगल में खराब अनाज रखे हुए हैं.

कर्मचारी कहते हैं कि छत से पानी टपकता है. अगर गोदाम अच्छी स्थिति में नहीं है, तो इसे बंद कर देना चाहिए. राज्य खाद्य निगम मृत प्राय हो गया है. सचिव से इस बाबत जानकारी लूंगा. मुख्यमंत्री से जांच समिति बनाने को कहूंगा. झारखंड में भाजपा की सरकार बनने के बाद भी राज्य खाद्य निगम में कोई सुधार नहीं हुआ है. सरकार को कॉरपोरेशन का अधिग्रहण कर लेना चाहिए.वर्ष 2010-11 से ही गोदाम में पड़ा है अनाज: लेखा कर्मी बसंत यादव ने कहा कि गोदाम में वर्ष 2010-11 से ही अनाज पड़ा हुआ है. यह अनाज एपीएल, पीडीएस मद का है. रोटेशन नहीं होने के कारण चावल सड़ गया है. वहीं प्रभार देने के समय विवाद होना भी एक कारण है. अनाज खराब होने की सूचना समय-समय पर पत्र के माध्यम से सीएमडी को दी जाती रही है. इसके बाद भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई अनाज सड़ता रहा

दूसरी तरफ प्रभात खबर ने गत 20 जून को प्रकाशित खबर में बारिश के मौसम में बर्मामाइंस एफसीआइ के बजाय सीमेंट साइट में खुले आसमान के नीचे रखे 2000 से ज्यादा बोरे खाद्यान्न के बारिश में भींगने के कारण सड़ने की आशंका जतायी थी. इसके मद्देनजर सरायकेला-खरसावां डीसी ने सभी गोदाम प्रभारियों को अलर्ट कर दिया था कि किसी भी परिस्थिति में भींगे खाद्यान्न ट्रांसपोर्टरों से स्वीकार नहीं करें.बिंदेश्वरी ततमा, डीएम एसएफसी सह जिला आपूर्ति पदाधिकारी ने कहा, सैकड़ों बोरे नदी में फेकने के मामले में जांच के आदेश दिये गये हैं. जांच के लिए एमओ साकची अशोक सिंह, एमओ कदमा-सोनारी अनिल ठाकुर अौर एमओ टेल्को एस प्रसाद को जिम्मेवारी दी गयी है.

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