समस्या यह है कि रिम्स में दूर-दराज से बड़ी संख्या में मरीज आते है, जिन्हें यहां रात भी गुजारनी पड़ती है. रिम्स परिसर में मरीजों के तीमारदारों के लिए रैन बसेरा बनाया गया है, जिसमें एक कमरे के लिए 50 रुपये लगते है, लेकिन कई लोगों के पास इतने पैसे भी नहीं होते हैं. हालांकि मुख्यमंत्री के आदेश पर 500 लोगाें के रहने की क्षमतावाला धर्मशाला तैयार होने जा रहा है. उम्मीद है कि उसके बाद रिम्स की सूरत में बदलाव दिखेगा.
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रिम्स : अस्पताल को बेहतर बनाने में जुटा प्रबंधन, हम ही बिगाड़ रहे हैं इसकी सूरत
रांची: राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स में प्रतिदिन करीब 1400 मरीजों को भरती कर इलाज किया जाता है. ओपीडी में प्रतिदिन 1300 से ज्यादा मरीज ओपीडी में दिखाने आते हैं. रिम्स प्रबंधन इन मरीजों को बेहतर चिकित्सा सेवा मुहैया कराने में जुटा हुआ है, लेकिन यहां आनेवाले कुछ लोग इस अस्पताल की सूरत […]
रांची: राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स में प्रतिदिन करीब 1400 मरीजों को भरती कर इलाज किया जाता है. ओपीडी में प्रतिदिन 1300 से ज्यादा मरीज ओपीडी में दिखाने आते हैं. रिम्स प्रबंधन इन मरीजों को बेहतर चिकित्सा सेवा मुहैया कराने में जुटा हुआ है, लेकिन यहां आनेवाले कुछ लोग इस अस्पताल की सूरत बिगाड़ने में लगे हुए हैं.
रिम्स ओपीडी के सामने पीने के पानी का नल लगा है, लेकिन यहां लोग कपड़े धोते हैं और नहाते हैं. कुछ ऐसा ही हाल ओपीडी हॉल का भी है. यहां बैठने के लिए बनायी गयी कुरसियों पर मरीजों और तीमारदारों के कपड़े सुखाये जाते हैं. हालांकि, यह समस्या एक बार में दूर नहीं हो सकी है, लेकिन इसके लिए सरकारी और निजी स्तर पर कोशिश करनी पड़ेगी.
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