रांची: झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने कहा कि झारखंड में लाखों लोग विस्थापित हुए. लाखों एकड़ चली गयी, पर इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है़ सरकार, आयोग का गठन कर इससे जुड़े आंकड़े जुटाये. ऐसा करने से आगे क्या करना है, यह तय करने में आसानी होगी़ आज खंंडों में जमीन बचाने का संघर्ष हो रहा है, इसलिए हमें जीत नहीं मिल रही़ जब तक इस लड़ाई को प्रदेश के गांव-गांव की सड़कों तक नहीं ले जायेंगे, तब तक जनांदोलन कुचले जाते रहेंगे़ वे डॉ वासवी किड़ो की पुस्तक ‘भारत में विस्थापन की अवधारणा और इतिहास’ के लोकार्पण के मौके पर एसडीसी में आयोजित समारोह में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे़.
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल को बाढ़ की विभीषिका से बचाने के लिए यहां कई डैम बने़ पर इससे न यहां बिजली मिली, न खेतों काे पानी़ कल-कारखाने लगे पर यहां के लोगों को उसका लाभ नहीं मिला़ यदि अपरिहार्य हो सरकार तभी जमीन ले़ उसके लिए जमीन के बदले जमीन देना कठिन नहीं है़
विस्थापन नहीं विकास समस्या है : घनश्याम
सामाजिक कार्यकर्ता घनश्याम ने कहा कि विस्थापन समस्या नहीं, बल्कि विकास समस्या है़ जब तक विकास की यही अवधारणा रहेगी, तब तक विस्थापन ही इसकी तार्किक परिणति है़ कोयलकारो जनसंगठन के सोमा सिंह मुंडा ने कहा कि ये नदी-नाले, पहाड़-पर्वत किसी सरकार ने नहीं, बल्कि ईश्वर ने दिये है़ं हम अपनी जमीन नहीं देंगे़ हमें सिदो- कान्हू, बिरसा मुंडा बनने की जरूरत है़ कुमार चंद्र मार्डी ने कहा कि कोल्हान के लोग विस्थापन के खिलाफ एकजुट है़ं
झारखंड के लिए विस्थापन अभिशाप : भुवनेश्वर
पूर्व सांसद भुवनेश्वर मेहता ने कहा कि झारखंड के लिए विस्थापन अभिशाप है. यहां के आदिवासी इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हुए है़ं विकास के नाम पर जितने एमओयू हुए हैं, यदि वे लागू हो जायें, तो राज्य के एक करोड़ दस लाख लोग विस्थापित हो जायेंगे़ रांची विवि के वीसी डॉ रमेश कुमार पांडेय ने कहा कि विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में इस पुस्तक को उचित स्थान दिलाने का प्रयास करेंगे़ एक्सआइएसएस के निदेशक फादर एलेक्स एक्का ने कहा कि समाज में न्याय व समानता की स्थापना जरूरी है़