रांची: सरकार ने साफ कर दिया है कि वह सीएनटी की धारा 21 और एसपीटी की धारा 13 में किये गये संशोधन को वापस लेगी़ राज्यपाल द्वारा सीएनटी-एसपीटी में संशोधन का प्रस्ताव लौटाये जाने के बाद राजनीति उबली, तो सरकार भी पीछे हटी़.
विपक्ष से लेकर सत्ता पक्ष तक की मांग उठी कि इस धारा में किये गये संशोधन को सरकार वापस ले़ सोमवार को टीएसी की बैठक के बाद मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी साफ कर दिया कि सीएनटी की धारा 21 और एसपीटी की धारा 13 में किये गये संशोधन को निरस्त कर दिया जायेगा़.सीएनटी-एसपीटी को लेकर झगड़ा अभी यहीं खत्म नहीं हुआ है़ सीएनटी की धारा 49 में भी सरकार ने संशोधन किया है़ पहले इसमें प्रावधान था कि उद्योग और खनन के लिए ही सीएनटी की जमीन ली जायेगी़ सरकार ने इसमें स्कूल, कॉलेज, सड़क, रेल सहित जनहित के लिए जमीन अधिग्रहण करने का भी प्रावधान जोड़ा है़ विपक्ष सीएनटी-एसपीअी का मुद्दा जिंदा रखना चाहता है़ विपक्ष इस धारा में भी किये गये संशोधन पर सवाल उठा रहा है़ विपक्ष के विधायकों का मानना है कि इस पर गंभीरता से विचार होना चाहिए़ विपक्ष की दलील है कि स्कूल, कॉलेज, सड़क जैसे निर्माण के लिए पहले भी जमीन का अधिग्रहण हुआ है़ सीएनटी में इसके लिए संशोधन की क्या आवश्यकता है़.
विपक्ष सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहा है़ विपक्ष की आशंका है कि आगे चल कर जनहित के ऐसे कार्यों में पीपीपी मॉडल भी अपनाये जा सकते हैं. निजी लोग भी इस रास्ते से सीएनटी की जमीन पर दखल कर सकते हैं. विपक्ष के तेवर से साफ है कि इस पर विधानसभा से लेकर टीएसी तक किचकिच होगा़ सरकार को इस संशोधन को लेकर भी रास्ता निकालना पड़ सकता है़
मामला : सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन
क्या कहता है विपक्ष
सीएनटी-एसपीटी कानून की मूल भावना को समझने की जरूतर है़ सीएनटी की धारा 49 में संशोधन से इसकी कई धाराएं प्रभावित होंगी़ सीएनटी की धारा 49 की उपधारा एक-दूसरे से जुड़ी हैं. यह भी देखने की जरूरत है कि इसके संशोधन से कहीं दूसरी धाराओं पर प्रभाव ना पड़े़ आगे इसका दुरुपयोग ना हो़.
सुखदेव भगत, कांग्रेस के अध्यक्ष व विधायक
सरकार की मंशा साफ नहीं है़ धारा 49 में संशोधन की कोई आवश्यकता नहीं है़ सरकारी योजनाओं को लेकर कहीं कोई अड़चन नहीं है़ विकास के नाम पर सीएनटी-एसपीटी में एक चोर दरवाजा खोला जा रहा है़ इस संशोधन को स्वीकार नहीं किया जायेगा़.
बंधु तिर्की, झाविमो महासचिव
सीएनटी-एसपीटी में किसी तरह के संशोधन को जनता स्वीकार नहीं कर रही है़ इसमें छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए़ इसके मूल रूप में कोई बदलाव हुआ, तो पार्टी विरोध करेगी़ हम सदन से लेकर सड़क तक इसका विरोध करेंगे़.
सुप्रियो भट्टाचार्य, झामुमो महासचिव व प्रवक्ता
क्या कहता है सत्ता पक्ष
सीएनटी-एसपीटी में जमीन की प्रकृति बदलने को लेकर आपत्ति थी़ सरकार ने सीएनटी की धारा 21 और एसपीटी की धारा 13 में किये गये संशोधन को निरस्त करने की घोषणा कर दी है़ मुख्यमंत्री ने साबित कर दिया है कि वह जनहित में फैसले लेते हैं. यह स्वागत योग्य कदम है़ अब इस संशोधन में किसी को कहीं कोई परेशानी नहीं है़ विपक्ष बेवजह राजनीति कर रहा है़.
रामकुमार पाहन, विधायक व एसटी मोरचा के अध्यक्ष
अड़चनों को दूर करना चाहती है सरकार
सरकार की मंशा है कि विकास कार्यों में जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया को सरल किया जाये़ सरकार ने इसे ही ध्यान में रख कर सीएनटी की धारा 49 में संशोधन किया है़ इसमें प्रावधान है कि अधिग्रहण कानून के अनुसार ही रैयतों को मुआवजे का भुगतान समय सीमा के अंदर किया जायेगा़ जिस उद्देश्य से जमीन ली जा रही है, अगर वह पांच वर्षों में पूरा नहीं होता है, तो रैयत को जमीन लौटा दी जायेगी़