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जीएसटी पर गुमराह कर रहे हैं कुछ व्यापारी
रांची में केंद्रीय राजस्व सचिव डॉ हसमुख अढिया, व्यापारियों को किया संबोधित, कहा रांची : भारत सरकार के राजस्व सचिव डॉ हसमुख अढिया ने कहा है कि जीएसटी पर कुछ व्यापारी लोगों को गुमराह कर रहे हैं. सेल ऑडिटोरियम में व्यापारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा : मैंने स्थानीय अखबार में पढ़ा कि कुछ […]
रांची में केंद्रीय राजस्व सचिव डॉ हसमुख अढिया, व्यापारियों को किया संबोधित, कहा
रांची : भारत सरकार के राजस्व सचिव डॉ हसमुख अढिया ने कहा है कि जीएसटी पर कुछ व्यापारी लोगों को गुमराह कर रहे हैं. सेल ऑडिटोरियम में व्यापारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा : मैंने स्थानीय अखबार में पढ़ा कि कुछ व्यापारी जीएसटी का विरोध कर रहे हैं. एक व्यापारी ने कहा कि जीएसटी के अंतर्गत साल में 37 बार रिटर्न दाखिल करना होगा. जीएसटी से कपड़ा महंगा हो जायेगा. भ्रष्टाचार बढ़ेगा. इंस्पेक्टर राज आ जायेगा. पर, वास्तविकता इसके बिल्कुल उलट है.
उन्होंने कहा : आज कॉटन पर देश भर में लगभग सभी जगहों पर पांच फीसदी टैक्स है. पॉलिस्टर कपड़े पर टैक्स बढ़ कर 19 से 20 प्रतिशत तक पहुंच जाता है. जीएसटी कर प्रणाली में कपड़े पर एक पैसे का भी अतिरिक्त टैक्स का बोझ व्यापारियों पर नहीं डाला गया है.
केवल जीएसटी के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ व्यापारियों तक पहुंचाने के लिए टूटी कड़ियों को जोड़ा भर गया है. जीएसटी से इंस्पेक्टर राज और भ्रष्टाचार पूरी तरह से खत्म हो जायेगा. इससे कोई भी व्यवसाय करनेवाले को नुकसान नहीं होने जा रहा है. इंस्पेक्टर राज खत्म करने के लिए केवल पांच प्रतिशत रिटर्न पर ही स्क्रूटनी का प्रावधान किया गया है.
डॉ अढिया ने कहा : जीएसटी में उत्पादक राज्यों का पूरा-पूरा ख्याल रखा गया है. राज्यों को इससे किसी तरह का नुकसान नहीं होगा. कोयले की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा : वर्तमान में इस पर छह प्रतिशत एक्साइज ड्यूटी, पांच प्रतिशत वैट व एक प्रतिशत इंट्री टैक्स लगता है.
नयी प्रणाली में कोयले पर केवल पांच प्रतिशत ही जीएसटी देय होगा. इसी तरह आयरन पर भी 20 प्रतिशत से अधिक टैक्स लगता रहा है. जीएसटी में इसे 18 प्रतिशत निर्धारित किया गया है. सीमेंट पर भी सभी तरह के टैक्स मिला कर 29 से 30 प्रतिशत देय होता रहा है. जीएसटी में इसमें कमी लाते हुए 28 प्रतिशत निर्धारित किया गया है. इसके बावजूद कुछ बिल्डरों द्वारा यह कहा जा रहा है कि जीएसटी लगने के बाद भवन निर्माण महंगा हो जायेगा. ऐसे बिल्डर जीएसटी लागू होने से पहले ही पेमेंट का दबाव बना रहे हैं, जबकि असलियत कुछ और ही है.
पहले बिल्डरों को इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं मिलता था. जीएसटी में उन्हें यह लाभ दिया जा रहा है. ऐसी स्थिति में भवन की लागत कम होनी चाहिए.
उन्होंने कहा : जीएसटी में टैक्स प्रणाली को सरल कर दिया गया है. 10 से 20 लाख रुपये तक के टर्नओवर करनेवाले व्यापारी को निबंधन ही नहीं कराना है. 20 से 75 लाख रुपये तक के टर्नओवर करनेवाले व्यापारियों को एक प्रतिशत की दर से टैक्स देय होगा. हर तीन महीने में उन्हें केवल एक बार रिटर्न फाइल करना होगा. लोग कहते हैं कि जीएसटी में माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज (एमएसएमइ) की हालत खराब हो जायेगी. ऐसा नहीं है. 1.5 करोड़ तक के टर्नओवर वाले व्यवसायियों को सिर्फ दो प्रतिशत की दर से टैक्स देना होगा. पहले उन्हें केवल एक्साइज ड्यूटी में इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) का लाभ मिलता था. वैट पर कोई छूट नहीं थी. 15 करोड़ से अधिक टर्नओवर वाले डीलरों को महीने में एक बार रिटर्न दाखिल करना होगा. उन्हें हर बिल का डिटेल नहीं देना पड़ेगा, लेकिन व्यापारी से व्यापारी को माल बेचने की स्थिति में बिल का डिटेल देना होगा, क्योंकि माल खरीदनेवाले व्यापारी को आइटीसी का लाभ देने के लिए यह जरूरी होगा.
व्यापारी से व्यापारी को माल बेचने की स्थिति में कंप्यूटर के एक्सेल शीट पर उसका ब्याेरा नोट करना होगा. महीने के अंत में उसे जीएसटी पाेर्टल पर अपलोड करने से वह रिटर्न में तब्दील हो जायेगा. अगर माल बेचनेवाले व्यापारी ने किसी बिल का ब्योरा उसमें नहीं डाला है, तो माल खरीदनेवाले व्यापारी को इस बात की जानकारी मिल जायेगी. इससे माल खरीदनेवाला व्यापारी उसी शीट पर अपनी खरीद का ब्योरा डाल सकेगा, जिसे स्वीकार कर एक माह के लिए आइटीसी का लाभ ले सकेगा. एक महीने के अंदर उसे माल बेचनेवाले से विमर्श कर विवाद का निबटारा करना होगा. ऐसा नहीं होने पर उसे आइटीसी की सुविधा से वंचित होना पड़ेगा. सरकार के जीएसटी पोर्टल पर डिफॉल्टर व्यापारी (ऐसे व्यापारी जो दूसरे व्यवसायी को बेचे गये माल का उल्लेख नहीं कर रहे हों) की रेटिंग डाली जायेगी. इससे कोई अन्य व्यापारी यह समझ सके कि किसके साथ कारोबार करना ठीक है और किसके साथ नहीं.
डॉ अढिया ने कहा : जीएसटी के मामले में लोगों में कई तरह के संशय और चिंता है. पहले जीएसटी पर चर्चा के अलावा कहीं कुछ नहीं हो रहा था. पर, जीएसटी काउंसिल की बैठक में चीजों पर टैक्स की दर तय करते ही जैसे सोये लोग जाग गये हों. तरह-तरह के सवाल उठाये जाने लगे हैं. कुछ लोगों को इस बात की चिंता है कि वैट से जीएसटी के ट्रांजेक्शन फेज में आइटीसी का लाभ मिलेगा या नहीं. व्यापारियों को किसी तरह की चिंता करने की जरूरत नहीं है.
31 जून तक जिन व्यापारियों के पास उनके स्टॉक का पूरा पेपर होगा, उन्हें आइटीसी का पूरा लाभ मिलेगा. यानी, उनकी 100 प्रतिशत राशि रिफंड होगी. जिनके पास एक्साइज का बिल नहीं होगा, उन्हें भी 40 से 60 प्रतिशत क्रेडिट की सुविधा मिलेगा. 1.5 करोड़ से कम के उद्योगों को भी स्टॉक पर 40 से 60 प्रतिशत आइटीसी की सुविधा मिलेगी.
उन्होंने कहा : जीएसटी देश का सबसे बड़ा टैक्स रिफार्म है. जीएसटी लागू होने से देश में एफडीआइ बढ़ेगा. जीडीपी का भी एक से दो प्रतिशत बढ़ने की पूरी-पूरी संभावना है. इससे रोजगार के बड़े अवसर पैदा होंगे. राजस्व सचिव ने कहा, जीएसटी प्रणाली लागू होने से एक्सपोर्ट में वृद्धि होगी. फिलहाल, एक्सपोर्टर को केवल सेंट्रल एक्साइज पर ही छूट मिलती है.
उन्हें वैट देना पड़ता है. इससे उनके उत्पाद की लागत दूसरों के मुकाबले ज्यादा होती है. जीएसटी मे उन्हें आइटीसी का पूरा लाभ मिलेगा. रिफंड के ऑनलाइन आवेदन के सातवें दिन ही उनके बैंक एकाउंट में राशि ट्रांसफर हो जायेगी. इंपोर्ट की स्थिति में ड्यूटी के अलावा हर उस सामान पर उतना ही जीएसटी लगेगा, जितना देश में उसके उत्पादन पर जीएसटी लग रहा हो. जीएसटी से एक्सपोर्ट में प्रतियोगिता होगी. देश के उत्पादों की लागत कम होने से एक्सपोर्ट बढ़ेगा. यह देश की आर्थिक प्रगति में बड़ी भूमिका निभायेगी. डॉ अढिया ने विभिन्न व्यापारिक वर्गों और चार्टड एकाउंटेंट व वकीलों द्वारा जीएसटी के सिलसिले में किये गये सवालों का जवाब भी दिया.
आगे जायेगा झारखंड
डॉ हसमुख अढिया ने कहा : मैं पहली बार झारखंड आया हूं. यहां आकर मुझे ऐसा लग रहा है कि यह राज्य बहुत आगे जायेगा. किसी भी नये राज्य के लिए इज ऑफ डूइंग बिजनेस में तीसरा स्थान प्राप्त करना बड़ी बात है.
जीएसटी की समीक्षा के दौरान मुझे पता चला कि झारखंड सरकार ने इसे लागू होने से पहले ही चेक पोस्ट हटा दिये हैं. यह बहुत बढ़िया कार्य है. चेक पोस्ट पर ट्रकों का करीब 35 प्रतिशत समय बरबाद होता है. चेक पोस्ट हटाने से ट्रक निर्धारित समय पर माल लेकर गंतव्य तक पहुंच सकेंगे. इससे समय के साथ मानव बल की भी बचत होगी.
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