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इसलाम में व्यवहार का महत्व
डॉ शाहनवाज कुरैशी इसलाम एक नैसर्गिक धर्म है. मनुष्य के जीवन शैली के प्रत्येक पहलू के बारे में इसमें विस्तारपूर्वक बताया गया है. व्यक्ति का घर में अपने माता-पिता, संतान, पड़ोसियों, रिश्तेदारों, समाज के अन्य वर्ग के लोगों के साथ कैसा व्यवहार हो, इसके बारे में पैगंबर मुहम्मद (स) की सैकड़ों हदीसें उपलब्ध है. इसलाम […]
डॉ शाहनवाज कुरैशी
इसलाम एक नैसर्गिक धर्म है. मनुष्य के जीवन शैली के प्रत्येक पहलू के बारे में इसमें विस्तारपूर्वक बताया गया है. व्यक्ति का घर में अपने माता-पिता, संतान, पड़ोसियों, रिश्तेदारों, समाज के अन्य वर्ग के लोगों के साथ कैसा व्यवहार हो, इसके बारे में पैगंबर मुहम्मद (स) की सैकड़ों हदीसें उपलब्ध है. इसलाम में व्यक्ति के व्यवहार पर विशेष जोर दिया गया. अनेकों बार कहा गया-तुममें बेहतर व्यक्ति वह है, जिसका व्यवहार बेहतर है. (बुखारी व मुसलिम) सद् व्यवहार के बारे में निर्देश सर्वव्यापी है. समाज के विभिन्न वर्ग एवं धर्म के बीच किसी तरह का विभेद नहीं किया गया है. सभी के साथ बेहतर अखलाक पेश करने का निर्देश दिया गया. सभी के साथ विनम्रता का व्यवहार करने का निर्देश दिया गया है.
पैगंबर मुहम्मद (स) ने फरमाया-सद व्यवहार से बढ़ कर मीजान (तराजू) में भारी कोई अन्य चीज नहीं होगी. (तिर्मिजी शरीफ) हजरत मुआज (रजि) फरमाते हैं कि रसूल (स) ने मुझे यमन भेजते वक्त जो अंतिम वसीयत रकाब पर पांव रखते वक्त फरमाई वह यह थी कि लोगों के साथ अच्छे अखलाक से पेश आना. अखलाक को पुण्य करार दिया गया. पैगंबर (स) ने फरमाया कि नेकी अच्छे अखलाक का नाम है. (मुसलिम) एक अन्य जगह फरमाया गया कि ईमान में ज्यादा कामिल वह है, जिनके अखलाक अच्छे हों. (अबू दाऊद) वास्तव में इसलाम के प्रसार में व्यवहार का बड़ा योगदान रहा है. पैगंबर (स) के व्यवहार से प्रभावित होकर ही उनके कट्टर शत्रुओं ने भी इसलाम स्वीकार कर लिया.
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