इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति में स्थायी वृद्धि होगी. साथ ही फसलों के उत्पादन, उत्पादकता एवं पोषक तत्वों की उपलब्धता में भी बढ़ोतरी होगी. कुलपति ने बताया कि अमृत कृषि पूर्णत: प्राकृतिक सिद्धांतों तथा सूर्यप्रकाश के अधिकतम अवशोषण पर आधारित है.
एक वर्ष की इस परियोजना में सीनियर रिसर्च फेलो और फील्ड अस्सिटेंट के दो-दो पद भी स्वीकृत किये गये हैं. योजना के रखरखाव एवं सुरक्षा के लिए कार्य स्थल से संबंधित ग्राम में योजना रक्षा समिति का गठन किया जायेगा, जिनमें संबंधित ग्राम के ग्राम प्रधान/मुखिया/वार्ड सदस्य/प्रगतिशील किसान आदि शामिल रहेंगे. कुलपति डॉ कौशल ने कहा कि अमृत कृषि का संदेश पूरे झारखंड में फैलाने का लक्ष्य विवि का है. रांची उपायुक्त के सरकारी आवास तथा बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार में इससे संबंधित आरंभिक कार्य शुरू किया गया है. लोहरदगा जिला में अमृत कृषि संबंधी परियोजना का प्रस्ताव जिला प्रशासन को तथा गोरिया करमा प्रक्षेत्र (हजारीबाग) एवं बीएयू परिसर में ऐसा कार्यक्रम चलाने का प्रस्ताव कृषि विभाग को भेजा गया है.