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आश्वासन मंजूर नहीं, आंदोलन पर अड़े
जल सत्याग्रह से घबरायी राज्य सरकार ने 24 घंटे के अंदर विस्थापित नेताओं को पीटीपीएस सर्किट हाउस में वार्ता के लिए मंगलवार को बुला लिया. लेकिन वार्ता विफल रही़ आंदोलन जारी रखने की घोषणा की गयी. डीसी से हुए कमिटमेंट को लागू करने की मांग पर अड़े. आंदोलन में राजनीतिक दलों को शामिल न करने […]
जल सत्याग्रह से घबरायी राज्य सरकार ने 24 घंटे के अंदर विस्थापित नेताओं को पीटीपीएस सर्किट हाउस में वार्ता के लिए मंगलवार को बुला लिया. लेकिन वार्ता विफल रही़ आंदोलन जारी रखने की घोषणा की गयी. डीसी से हुए कमिटमेंट को लागू करने की मांग पर अड़े. आंदोलन में राजनीतिक दलों को शामिल न करने की मांग को भी ठुकराया.
पतरातू : पीटीपीएस के विस्थापितों के जल सत्याग्रह से घबरायी राज्य सरकार ने 24 घंटे के अंदर विस्थापित नेताओं को पीटीपीएस सर्किट हाउस में वार्ता के लिए मंगलवार को बुला लिया. हालांकि यह वार्ता पूरी तरह विफल रही. सरकार के नुमाइंदे व जिला प्रशासन के सभी आश्वासनों को विस्थापितों ने छलावा बताया.
कहा कि उनका घोषित आंदोलन जारी रहेगा. 24 अप्रैल को प्रधानमंत्री के एनटीपीसी ऑनलाइन शिलान्यास कार्यक्रम के बहिष्कार के बाद आंदोलन को और गति दी जायेगी. सीएमडी रहाठे ने विस्थापित नेताओं से नये प्लांट को स्थापित होने में सहयोग की अपील करते हुए उनका विरोध खत्म करने की अपील की. कहा कि विस्थापितों की सूची बन रही है. इसमें देखा जायेगा कि किसको मुआवजा व नौकरी नहीं मिला है. 24 अप्रैल के बाद एनटीपीसी के सीएमडी से वार्ता कराने का भी प्रयास किया जायेगा.
रामगढ़ डीसी ने बताया कि विस्थापितों की सूची बनाने की जिम्मेवारी एसडीओ व पीटीपीएस के दो अधिकारियों को दी गयी है. आप संयम रखें. राजनीतिक दलों को अपने आंदोलन में शरीक न करें. इससे माहौल बिगड़ता है. एडवाइजरी कमेटी ज्वाइंट वेंचर पतरातू विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड द्वारा बनायी जायेगी. इसको विस्थापित नेताओं ने सिरे से खारिज कर दिया. नेताओं ने इसे सरकार का छलावा बताया. नेता वार्ता के दौरान इस बात पर अड़े रहे कि फरवरी में भूख हड़ताल के दौरान डीसी द्वारा लिखित समझौते पर ही वे बात करेंगे. इससे हट कर उन्हें कोई बात मंजूर नहीं है.
डीसी द्वारा फिलहाल एनटीपीसी को हस्तांतरिक किये गये 12 सौ एकड़ जमीन पर ही विस्थापन सूची बनाने की बात कही जाने के बाद विस्थापित वार्ता से निकल गये. वार्ता में ऊर्जा उत्पादन निगम लिमिटेड के सीएमडी एसकेजी रहाठे, एमडी राहुल पुरवार, रामगढ़ डीसी ए दोड्डे, एसपी एम तमिलवाणन, एसडीओ किरण पासी, पीटीपीएस जीएम बच्चू नारायण, मुख्य अभियंता प्रभाकर झा, संपदा पदाधिकारी सकलदेव चौरसिया मौजूद थे.
जारी रहेगा आंदोलन
विस्थापित नेता आदित्यनारायण प्रसाद ने कहा कि सरकार व उनके नुमाइंदे हमारे आंदोलन को तोड़ना चाहते हैं. जब भी हमारा आंदोलन धार पकड़ता है, तो वे छलावा देने लगते हैं. भूख हड़ताल के दौरान डीसी ने स्पष्ट किया था कि 25 गांवों में एडवाइजरी कमेटी बनेगी.
समस्या को सूचीबद्ध कर मार्च महीने में एनटीपीसी के सीएमडी से विस्थापितों की वार्ता करायी जायेगी. लेकिन सब कुछ कोरा आश्वासन साबित हुआ है. राजनीतिक दलों के मसले पर श्री प्रसाद ने स्पष्ट किया कि जो भी दल हमारे आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं, हम उनका हार्दिक स्वागत करते रहेंगे. प्रशासन कूटनीति के जरिये हमारे आंदोलन को कमजोर करने की साजिश रच रही है. इसे हम कदापि सफल नहीं होने देंगे. जल सत्याग्रह के दौरान घोषित सभी भावी आंदोलन जारी रहेगा.
वापस होगी जमीन!
वार्ता के दौरान प्रशासन ने यू टर्न लेते हुए कहा कि सिर्फ 12 सौ एकड़ जमीन पर ही विस्थापन की बात होगी. इसे विस्थापितों ने नकारते हुए सवाल खड़ा किया है. कहा कि 12 सौ एकड़ के बाद शेष भूमि को विस्थापितों को पहले वापस किया जाये. इसके बाद ही इस संदर्भ में आगे वार्ता की जायेगी. वार्ता में विस्थापितों की ओर से विजय साहू, राजाराम प्रसाद, दुर्गाचरण प्रसाद, भुनेश्वर सिंह, असगर अली, सुजीत पटेल, नागेश्वर ठाकुर, मो अलीम, प्रदीप महतो, भुनेश्वर महतो, किशोर महतो, अरुण साव, कुमेल उरांव, मुमताज अंसारी, वारिस खान, एम रहमान, कौलेश्वर महतो, नेपाल प्रजापति, देवंती देवी समेत कई लोग शामिल थे.
विस्थापितों के साथ हूं : गौतम तिवारी
झामुमो नेता गौतम तिवारी ने कहा कि वे विस्थापितों के आंदोलन में साथ हैं. कोई भी वार्ता के दौरान विस्थापित दबाव में न आयें. मामले पर झामुमो आलाकमान लगातार नजर रख रहा है. जल्द ही झामुमो के शीर्षस्थ नेता यहां आ कर विस्थापितों से मिलेंगे. आंदोलन को राज्य स्तरीय बनाने का काम करेंगे.
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