घाटोटांड़ : भाजपा की सरकार जान कर ग्रामीण रैयतों को उजाड़ना चाहती है. इसलिए रैयतों के हित में कानून नहीं बना रही है. आज भी कोलियरी खोलने के लिए रैयतों की जमीन कौड़ी के भाव में ली जा रही है. रैयतों की एक एकड़ जमीन के बदले मात्र नौ हजार रुपये मुआवजा दिया जा रहा है. उक्त बातें झाविमो सुप्रीमो सह झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने गुरुवार को परेज पूर्वी उत्खनन परियोजना से प्रभावित आदिवासी गांव दुरू में ग्रामीणों से कही. उन्होंने कहा कि यहां के रैयतों के साथ सीसीएल अन्याय कर रहा है.
कोलियरी चलाने के लिए यहां के रैयतों की जमीन वर्षों पहले अधिग्रहित कर ली गयी थी. अभी तक उनके नौकरी का मामला लंबित है. अब उन्हें उन्हीं की जमीन से विस्थापित किया जा रहा है. तीन डिसमिल जमीन नहीं लेने पर मात्र तीन लाख रुपये देने की बात है. ऐसे में ग्रामीण किसान तीन लाख में जमीन लेगा या उससे मकान बनाने का सामान खरीदेगा. श्री मरांडी ने ग्रामीणों की समस्या सुनने के बाद कहा कि वे अपनी जमीन पर एक भी मशीन तब तक उतरने न दें, तब तक पूरे गांव के रैयतों को जमीन के बदले नौकरी व मुआवजा नहीं मिल जाता.
दुरू गांव में आने से पूर्व श्री मरांडी केदला लारटोंगरी में अपने एक समर्थक के यहां ठसके आैर वहां के रैयतों से उनकी समस्या जानी. दुरू कसमार में रैयतों ने बताया कि उनके गांव को विस्थापित कर सीसीएल एक आउट सोर्सिंग कंपनी बीजीआर के माध्यम से यहां नया खदान खेलने जा रहा है. सभा को दाहो महतो, लालो मांझी, तालो मांझी, दशई मांझी, मरिया दास हंसदा , संजूल टुडू, रवि कुमार आदि ने भी संबोधित किया. सभा में अशरफ ,नरेश कुमार, टुडू, शंकर मुर्मू, शंकर आदि शामिल थे.