– महावीरप्रसाद –
पहाड़ के ढलान पर खेती का प्रचलन
भदानीनगर : झूम खेती पतरातू प्रखंड के कई गांवों में खुशहाली फैला रही है. इन गांवों की भौगोलिक दशा के कारण यहां झूम खेती (पहाड़ के ढलान पर होने वाली खेती) लगातार प्रचलन में है.
आज कृषि विज्ञान जिस तरह की खेती को बढ़ावा दे रहा है, वहीं इस प्रकार की खेती इन गांवों में सदियों से चली आ रही है. जोबो, कडरू, कोड़ी, बारीडीह, खपिया समेत पहाड़ की तलहटी पर बसे गांव में झूम खेती होती है.
पहले मानसून के साथ झूम खेती के अंतर्गत गोड़ा धान, बाजरा, रहर, फुसरो (एक प्रकार का अन्न) आदि के बीज जंगलों को साफ कर बो दिये जाते हैं. इन फसलों की विशेषता है कि यह सभी फसल एक–दूसरे को बढ़ने में मदद करते हैं. तेज हवा के झोंके से गोड़ा धान अरहर को बचाता है.
दलहन की फसल मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाते हुए गोड़ा धान के पैदावार को बढ़ाती है. करमा से लेकर दशहरा तक गोड़ा धान को काट लिया जाता है. फिर अगहन तक फुसरो की कटाई होती है.
प्रकृति के गोद में बसे इन गांवों की खूबसूरती भी इस झूम खेती के कारण पूरे शबाब पर दिखती है. यह गांव सन (कॉटन) की खेती के मामले में भी धनी हैं. सन से लेनिन वस्त्र बनाया जाता है, जो काफी महंगा होता है. पहाड़ी क्षेत्र के कारण यहां पानी के भी कई स्नेत हैं.
आर्थिक रूप से हो रहे सबल : ग्रामीण जगधन बेदिया, गणोश बेदिया, रामहरि महली, शनिचरिया देवी समेत जोबो स्थित रामवि के प्रधानाध्यापक प्रदीप कुमार सिंह ने बताया कि यहां सदियों से झूम खेती का प्रचलन है. यह खेती कर कई गांव के लोग आर्थिक रूप से सबल हो रहे हैं. हर सीजन में वे किसी न किसी फसल की पैदावार करते हैं.