बरकाकाना : जुनून हो, तो सफलता अवश्य मिलेगी. आपके जुनून को कोई पागलपन कहेगा, तो कोई उसे समय की बर्बादी. लेकिन जब आप सफल होते हैं, तो पूरी दुनिया आपकी तारीफ शुरू कर देती है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है दुर्गी बस्ती निवासी मो मुंतजीर ने. 20 जनवरी को भारत का सबसे बड़ा फोटोग्राफी अवार्ड (कैमरेना एकेडमी फोटोग्राफी अवार्ड 2018 ) का आयोजन कोलकाता में किया गया था. इसमें मुंतजीर ने ड्रैगनफ्लाई टेकिंग शॉवर टाइटल की तस्वीर को भेजा गया था.
आयोजन में बतौर निर्णायक की भूमिका भारत के प्रथम फोटो जर्नलिस्ट रघु राय, वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर धृतिमान मुखर्जी, फैशन फोटोग्राफर रफीक सैयद व नेशनल ज्योग्राफिक एक्सप्लोरर प्रसेनजीत यादव शामिल थे. इसमें माइक्रो एंड क्लोजअप्स कैटेगरी में मुंतजिर द्वारा खींची गयी तस्वीर को पहला पुरस्कार दिया गया.
स्नातक (सत्र तीन) की परीक्षा होने के कारण मुंतजीर कोलकाता अवार्ड समारोह में शामिल नहीं हो पाये. इसके बाद आयोजन मंडली ने कूरियर के माध्यम से उनके आवास पर अवार्ड भेजवाया. मुंतजीर का बचपन से ही वाइल्ड लाइफ से लगाव था और स्कूली शिक्षा ग्रहण करते करते उनमें फोटोग्राफी का शौक जगा. इस शौक के कारण वह अपनी पढ़ाई से समय निकाल कर कीड़े-मकोड़ा, तितली, सांप, गिलहरी, छिपकली, गिरगिट, फूल-पत्तियों की तस्वीर खींचने के लिए पड़ोस में निकल जाते थे.
2012 से की थी फोटोग्राफी की शुरुआत : मुंतजीर ने फोटोग्राफी की शुरुआत स्मार्ट फोन से वर्ष 2012 से की. सुबह- सुबह वह अपने बड़े भाई को सोते देख चुपके से स्मार्ट फोन निकाल कर ले जाते थे. इस शौक के कारण कई बार उन्हें अपने माता-पिता से डांट सुननी पड़ती थी. जब पिता मो सलीम व बड़े भाई मुज्जमिल अहमद को उनके कला का एहसास हुआ, तब पिता ने उन्हें एक कैमरा उपहार स्वरूप दिया.
इसके बाद से मुंतजीर वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी की दुनिया में राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय सम्मान पा रहे हैं. इससे पूर्व, मुंतजीर पिक्चर झारखंड अवार्ड, उत्कला फोटाेग्राफी अवार्ड, फ्रेमवर्क फोटोग्राफी अवार्ड, विनोबा भावे विश्वविद्यालय से फोटोग्राफी अवार्ड अब तक जीत चुके हैं. इस अवार्ड से सम्मानित होने के बाद परिवार में खुशी है.