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देखते ही बनती है सुगा बांध की खूबसूरती

पलामू प्रमंडल के पर्यटन स्थल-9 बेतला. पलामू प्रमंडल के खूबसूरत पर्यटन स्थलों में आज चर्चा बेतला नेतरहाट मार्ग पर स्थित सुगा बांध के बारे में.पर्यटन स्थलों में सुगा बांध का अपना महत्व है. यहां का नजारा मन को रोमांचित करता है. घने जंगल व पहाड़ियों के बीच बहती नदी की धारा जब पहाड़ी से होकर […]

पलामू प्रमंडल के पर्यटन स्थल-9

बेतला. पलामू प्रमंडल के खूबसूरत पर्यटन स्थलों में आज चर्चा बेतला नेतरहाट मार्ग पर स्थित सुगा बांध के बारे में.पर्यटन स्थलों में सुगा बांध का अपना महत्व है. यहां का नजारा मन को रोमांचित करता है. घने जंगल व पहाड़ियों के बीच बहती नदी की धारा जब पहाड़ी से होकर गिरती है, तो इसकी खूबसूरती देखते ही बनती है. शांत वातावरण में पक्षियों के कलरव के बीच नदी के पानी के उंचाई से गिरते पानी की आवाज दिल को छू लेती है.

फॉल के पास का नाजारा काफी मनमोहक है. नदी की धारा एक विशाल चट्टान से होकर गुजरती है. यहां बालू का नामोनिशान नहीं दिखता है. पानी का बहाव तेज रहता है, उंचे से गिरने के कारण दुधिया रंग का पानी फॉल से गिरता दिखता है. पानी के बहाव के कारण चट्टान के पत्थरों का कटाव अलग-अलग आकृति का बन गयी है, जो वहां की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं. पत्थरों की इन आकृति को शायद ही कोई शिल्पकार भी गढ़ पाये.

बहते नदी का पानी निर्मल होता है, पत्थरों की आकृति, उंची पहाड़ियां, चट्टानों की बीच से नदी की धार व उंचाई से गिरते पानी के दृश्य के साथ-साथ आसपास के पेड़-पौधों की हरियाली आने वालों के मन को बांध देता है. यहां घंटों समय गुजारकर लोग वापस जाते हैं.

दिसंबर व जनवरी के महीने में यहां काफी भीड रहती है. पिकनिक स्पॉट के रूप में भी यह काफी प्रचलित है. यहां दूर-दराज से लोग पहुंचते हैं और प्रकृति का आनंद लेते हुए पिकनिक मनाते हैं. चट्टानों से गिरते हुए जलधारा के आकृति हर मौसम में बदलती दिखायी देती है. बरसात के दिनों में इसकी आकृति कुछ और दिखायी देती है जबकि गरमी व जाडा में इसकी आकृति कुछ और.

रोचक कहानी भी है

सुगा बांध के बारे में कई कहानियां हैं, जिसे स्थानीय लोग अलग-अलग तरीके से कहते हैं. कुछ लोगों ने बताया कि बहुत समय पहले एक तोता जिसे स्थानीय भाषा में सुगा कहते हैं कि पत्नी सुगनी को प्यास लगी, वह तोता पानी की खोज में इधर-उधर भटकने लगा.

काफी प्रयास के बाद भी उसे कहीं पानी नहीं मिला, आखिरकार वह सुगा बांध के स्थल पर पहुंचा, वहां उसने पानी के पतलीधार को बहता देखा. उस तोते ने चोच से आसपास के कंकडों को जमा करके बांध का रूप दिया और इस तरह पानी रूक गया और वह वहां से पानी चोच में भरकर अपनी पत्नी को पिलाने के लिए ले गया. दुबारा जब कभी उसे व उसकी पत्नी को प्यास लगता था तो वह यहीं से पानी ले जाता था. कलांतर में यह बांध विशाल रूप में परिवर्तित हो गया.

कैसे जायें

सुगाबांध बेतला से 50 किलोमीटर की दूरी पर है. गारू-बारेसाढ़ पार करने के बाद कुछ ही दूरी पर सुगाबांध है जो मेनरोड से थोडा हटके है. वहां का पहुंच पथ थोड़ा संर्कीण है, लेकिन चारपहिया वाहन से आसानी से पहुंचा जा सकता है. नेतरहाट जाने वाले लोग यहां अवश्य पहुंचते हैं. मेदिनीनगर से इसकी दूरी 75 किलोमीटर है. यह महुआडांड से से पीछे व बारेसाढ से आगे हैं.

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