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अनाथ जीव-जंतुओं की जीवन की रोशनी बनी ज्योति

मेदिनीनगर: सावधान ! यदि कोई सांप को मारेगा तो मैं शिकायत कर दूंगी. वन विभाग में केस हो जायेगा. आप सभी मुश्किल में पड़ जायेंगे. प्लीज पीछे जाइये. छोड़िये सांप को जिंदा रहने दीजिए. यह बात कहने के दौरान ज्योति के मन में जो आत्मविश्वास था, हिम्मत थी. उसे देख कर 40-50 लोगों की भीड़ […]

मेदिनीनगर: सावधान ! यदि कोई सांप को मारेगा तो मैं शिकायत कर दूंगी. वन विभाग में केस हो जायेगा. आप सभी मुश्किल में पड़ जायेंगे. प्लीज पीछे जाइये. छोड़िये सांप को जिंदा रहने दीजिए. यह बात कहने के दौरान ज्योति के मन में जो आत्मविश्वास था, हिम्मत थी. उसे देख कर 40-50 लोगों की भीड़ पीछे हट जाती है. इसी मामले ने ज्योति की जिंदगी बदल दी. किसी के लिए अब वह लेडीज सिंघम है, तो किसी के नजर में वह मुसहरिन है. जो हमेशा सांप को बचाने की बात सोचती है.

ज्योति की कहानी जानने के बाद लोगों के मन में यह सवाल उठना स्वाभाविक है. ऐसा आखिर हुआ क्या कि एक लड़की इस कार्य में लग गयी. जब ज्योति से बात की गयी, तो उसने बताया कि अप्रैल 2015 की बात है. तब ज्योति वन विभाग कार्यालय से झारखंड के पंक्षी व सर्प विशेषज्ञ सत्यप्रकाश से सांप के संरक्षण और उसे पकड़कर सुरक्षित स्थानों में कैसे छोड़ा जाये, इसका प्रशिक्षण लेकर लौट रही थी. तब मेदिनीनगर के कांदू मुहल्ला, जहां ज्योति का घर है.

उसके घर से कुछ दूरी पर करीब 40-50 लोग घेरकर सांप को मार रहे थे. यह देखकर अचानक उसके मन में आया, अरे ये लोग क्या कर रहे हैं. वह जोर से चिल्लाती है. लोग सहम जाते हैं कि आखिर यह लड़की कहना क्या चाह रही है. तब वह समझाती है. लोग मान जाते हैं. उसके बाद उसका आत्मबल बढ़ता है और वह इस अभियान में लग जाती है. अब तक उसने कई सांपों को पकड़कर सुरक्षित जंगलों में छोड़ा है. ज्योति की पहचान सांपों के संरक्षक के रूप में हो रही है. ज्योति की माने तो इस काम में उसके कार्यालय के सहयोगी सन्नी , पिंटू सहित अन्य का सहयोग मिलता है. खासतौर पर उपनिदेशक डॉ अनिल कुमार मिश्रा का इस काम में काफी सहयोग करते है .

ज्योति वन विभाग में काम करना अपने इस काम के लिए वरदान मानती है. सिर्फ सांप ही नहीं अबतक ज्योति कई गिलहरी , वज्रकीट, बाज , नीलकंठ , चमगादड़ , उल्लू , रोबिन , डव , बगेरी , कौआ , मॉनिटर लिज़र्ड आदि को बचा चुकी है. जब उसे कही से यह खबर मिलती है की कोई जीव-जंतु का बच्चा कही गिरा हुआ है, तो अपने साथियों के मदद से उसे अपने पास लेकर आती है, उसे दवा देकर खाना खिलाकर बड़ा करती है और फिर जब वे बड़े हो जाते हैं, तो उन्हें वापस जंगल में छोड़ देती है.

लेकिन इनमें से कई ऐसे भी हैं, जो बड़ा होने के बाद भी ज्योति को छोड़ कर नहीं जाते और उसके साथ रहते हैं. सबसे अजूबा है झिलमिल नाम की एक गिलहरी जो एक अप्रैल 2017 को वन विभाग के कैंपस में गिरा मिला था , उस समय उसकी आंख भी नहीं खुली थी. उस नन्ही सी जान को ज्योति ने नयी जिंदगी दी और अब झिलमिल एक पल भी उससे अलग नहीं होती. कांदू मोहल्ला निवासी बेलमात देवी व संतोष साव पुत्री ज्योति अब अनाथ जीव-जंतुओं की जीवन की रोशनी बन चुकी है.

ज्योति हमारे लिए एक हिम्मतवाली सिपाही है : उपनिदेशक : ज्योति अनाथ जीव-जंतु बचाने के हमारे काम की एक हिम्मतवाली सिपाही है , हमें उसपर नाज है. पलामू टाइगर रिज़र्व के उत्तरी प्रमंडल उपनिदेशक डॉ अनिल कुमार मिश्रा का कहना है कि ज्योति जो काम कर रही है, इसके लिए उसे सम्मान मिलना चाहिए. क्योंकि ज्योति का काम प्रेरणादायक है.

ज्योति पर मासूम बनायेगी वृत्तचित्र : पांडेय : ज्योति की इस कार्यो को लेकर मासूम आर्ट ग्रुप एक वृत्त चित्र फिल्म बनायेगी. इस फिल्म को नेशनल जियोग्राफी सहित अन्य चैनलों को भी भेजा जायेगा. मासूम आर्ट ग्रुप के अध्यक्ष विनोद पांडेय ने बताया कि इसे लेकर ग्रुप ने कार्य आगे बढ़ा दिया है. जल्द ही पलामू की ज्योति ने अपने कार्यों के बदौलत जो रोशनी फैलायी है, उसकी रोशनी की परिधी बढ़कर राष्ट्रीय फलक तक पहुंचेगी. इसका पूरा भरोसा है.

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