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गरमी के शुरुआत में ही बांसलोइ नदी सूखने के कगार पर
कई गांवों में गहराया जल संकट गरमी शुरू होते ही पाकुड़ के अमड़ापाडा प्रखंड के कई गांवों में जल संकट गहरा गया है. प्रखंड की लाइफ लाइन कही जाने वाली बांसलोई नदी सूख गयी है. नदी पर ही क्षेत्र के ग्रामीण निर्भर हैं. अमड़ापाड़ा : गरमी शरू होते ही प्रखंड में पेयजल संकट गहराने लगा […]
कई गांवों में गहराया जल संकट
गरमी शुरू होते ही पाकुड़ के अमड़ापाडा प्रखंड के कई गांवों में जल संकट गहरा गया है. प्रखंड की लाइफ लाइन कही जाने वाली बांसलोई नदी सूख गयी है. नदी पर ही क्षेत्र के ग्रामीण निर्भर हैं.
अमड़ापाड़ा : गरमी शरू होते ही प्रखंड में पेयजल संकट गहराने लगा है. प्रखंड के खास कर सुदूर पहाड़ी इलाकों, गांवों, बाजार सहित आस-पास के क्षेत्रों में पेयजल संकट तेजी से गहराता चला जा रहा है जिससे ग्रामीणों को काफी संघर्ष करना पड़ रहा है. अप्रैल के प्रथम सप्ताह में ही गरमी के इस एहसास ने लोगों को मौसम के मिजाज से अवगत करा दिया है. अमड़ापाड़ा की बांसलोई नदी सूखने की कगार पर है.
नदी पर आश्रित पचुवाड़ा, बरमसिया, बासमती, आलूबेड़ा, अमड़ापाड़ा के ग्रामीण पानी की पतली धार को देख कर काफी चिंतित नजर आ रहे हैं. पेयजल के सभी स्त्रोत लगातार चढ़ रहा तापमान और तीखी धूप के साथ सूखते चले जा रहे हैं. ऐसे में पेयजल व स्वच्छता विभाग के ठोस जमीनी पहल की कमी से दर्जनों गांवों के सैकड़ों-हजारों ग्रामीणों को रोज पेयजल संकट से जूझना पड़ रहा है.
पहाड़ी क्षेत्रों के ग्रामीणों को पहाड़ों से उतारकर दो-ढ़ाई किलोमीटर की दूरी तय कर एक घड़ा जल के लिए झरनों, कूपों में लंबी कतार लगानी पड़ रही है. वहीं तीखी धूप के कारण व नदी नालों जल स्त्रोतों के सूख जाने के कारण मवेशियों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. बांसलोई नदी के सूखने से प्रखंड के चटरापहाड़, सजनीपाड़ा, पेरपाड़ा, बास्को, कुसकुट्टा, जमरी, अमिरजोला, बड़दाहा, तिलईपाड़ा पहाड़, बोड़ो पहाड़ सहित कई गांवों में पेयजल संकट का सामना ग्रामीणों को करना पड़ रहा है.
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