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कोटालपोखरवासी के सपने नहीं हुए अपने

कोटालपोखर : संयुक्त बिहार के समय से ही कोटालपोखर को प्रखंड बनाने की मांग की जा रही है. झारखंड निर्माण के 14 वर्ष बाद भी सरकार की उपेक्षापूर्ण रवैये के कारण आज तक कोटालपोखर को प्रखंड का दर्जा नहीं मिल पाया है. जितने भी जन प्रतिनिधि आये सबों ने केवल आश्वासन ही दिया. बरहरवा पंचायत […]

कोटालपोखर : संयुक्त बिहार के समय से ही कोटालपोखर को प्रखंड बनाने की मांग की जा रही है. झारखंड निर्माण के 14 वर्ष बाद भी सरकार की उपेक्षापूर्ण रवैये के कारण आज तक कोटालपोखर को प्रखंड का दर्जा नहीं मिल पाया है. जितने भी जन प्रतिनिधि आये सबों ने केवल आश्वासन ही दिया. बरहरवा पंचायत से 10 पंचायतों को अलग कर कोटालपोखर को पंचायत बनाने की मांग 1983 से की जा रही है.

जिसको लेकर सैकड़ों बार पत्रचार किया गया, आंदोलन भी किया गया. लेकिन राजनीतिक षड्यंत्र के तहत इस मांग को अधर में लटका दिया गया. लेकिन इस बार विधान सभा चुनाव का प्रमुख मुद्दा ‘कोटालपोखर को प्रखंड बनाओ’ रहेगा. ग्रामीण इस मुद्दे पर जन प्रतिनिधियों को घेरेगी.

सूत्रों की मानें तो 13 मार्च 2014 को राष्ट्रीय नियोजन कार्यक्रम के निदेशक द्वारा बरहरवा बीडीओ से इस संबंध में एक आवश्यक रिपोर्ट मांगी थी. वहीं झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास विभाग ने अपने पत्रंक 5162 दिनांक 30 अगस्त 2013 के तहत साहिबगंज उपायुक्त व उपविकास आयुक्त से कोटालपोखर प्रखंड सह अंचल सृजन करने के संबंध में पत्र भेजा था.

इसके बाद जिला ग्रामीण विकास अधिकरण कार्यालय साहिबगंज को निर्देश दिया था कि कोटालपोखर को प्रखंड बनाने के लिए स्थानीय मुखिया व पंचायत समिति सदस्यों से विचार-विमर्श के बाद मंतव्य भेजें.

उस समय स्थानीय विधायक से भी अनुशंसा करा कर मांगी गई थी. रिपोर्ट भी भेज दी गई लकिन यह रिपोर्ट धूल फांक रहा है.

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