पाकुड़ : जिले में पदस्थापित चिकित्सक सह अंगरेजी लेखक डॉ हांसदा शौवेंद्र शेखर का शुक्रवार को आदिवासी समाज के लोगों ने सिदो-कान्हो पार्क के समीप पुतला जलाया. आदिवासी समाज के लोगों का आरोप है कि डॉ शेखर द्वारा लिखी गयी पुस्तक ‘द आदिवासी विल नॉट डांस’ व ‘द मिस्टिरियस एलिमेंट्स ऑफ रूपी बास्के’ में आदिवासी समाज की महिलाओं का गलत तरीके से चित्रण किया गया है.
नाराज आदिवासियों ने कहा कि द आदिवासी विल नॉट डांस पुस्तक के नवंबर इज द मंथ ऑफ माइग्रेशन के शीर्षक कहानी पृष्ठ संख्या 39 से 42 में मनगढ़ंत बना कर पाकुड़ जिले की एक आदिवासी लड़की के नाम का उल्लेख करते हुए कई आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया है. इस बात पर आदिवासी समाज के लोगों ने आपत्ति जतायी है. आदिवासियों ने डॉ हांसदा शौवेंद्र शेखर को तत्काल चिकित्सक पद से सेवामुक्त करने, पाकुड़ से यथाशीघ्र हटाने व लेखक पर कठोर से कठोर कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है.
वहीं मुख्यमंत्री को भी इस मामले को लेकर एक मांग पत्र सौंपा है. विरोध-प्रदर्शन कर रहे लोगों में जॉन जंतु सोरेन, स्टीफन किस्कू, सुप्रकाश बास्की, मार्क बास्की, शिव सोरेन, पिंटू हेंब्रम, सचितानंद मरांडी, जियोन मरांडी, मेरीता मुर्मू, सुजाता टुडू, आरती मुर्मू, अनामिका हांसदा सहित अन्य शामिल थे.
साहित्य अकादमी से युवा लेखक के रूप में सम्मानित हो चुके हैं डॉ शेखर : जानकारी के मुताबिक पाकुड़ में पदस्थापित चिकित्सक सह अंगरेजी लेखक डॉ हांसदा शौवेंद्र शेखर को वर्ष 2015 में द मिस्टिरियस एलिमेंट्स ऑफ रूपी बास्के के लिए युवा लेखक के रूप में साहित्य अकादमी ने उन्हें सम्मानित किया था. साहित्य अकादमी की ओर से सम्मानित किये जाने के पश्चात अंगरेजी लेखक डॉ हांसदा शौवेंद्र शेखर चर्चा में आये थे.
लेखक पर पुस्तक में आदिवासी महिलाओं के संदर्भ में आपत्तिजनक शब्द का इस्तेमाल करने का आरोप
पुस्तक ‘द मिस्टीरियस एल्मेंट ऑफ रूपी बस्के’ और ‘द आदिवासी विल नॉट डांस’ पर विवाद
मुझे नहीं लगता है कि मेरे द्वारा लिखी गयी किसी भी पुस्तक में कोई गलत शब्द का प्रयोग किया गया है. किसी को आपत्ति हो सकती है पर इसमें कुछ भी गलत नहीं है.
-डॉ हांसदा शौवेंद्र शेखर, लेखक