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फुलझर नदी पर बना पुल क्षतिग्रस्त

क्षेत्र के लोगों को हो रही है परेशानी लोहरदगा : सेन्हा प्रखंड के झालजमीरा पंचायत के दत्तरी गगेया पथ में फुलझर नदी पर बना पुल जर्जर हो चुका है. पुल से पार होना दुर्घटना को आमंत्रित करना साबित हो रहा है. पुल का निर्माण 17-18 वर्ष पूर्व करीब 20 लाख रुपये की लागत से कराया […]

क्षेत्र के लोगों को हो रही है परेशानी

लोहरदगा : सेन्हा प्रखंड के झालजमीरा पंचायत के दत्तरी गगेया पथ में फुलझर नदी पर बना पुल जर्जर हो चुका है. पुल से पार होना दुर्घटना को आमंत्रित करना साबित हो रहा है. पुल का निर्माण 17-18 वर्ष पूर्व करीब 20 लाख रुपये की लागत से कराया गया था.

इस पुल के बन जाने से दत्तरी, गगेया, छापरटोली, पतलो, पाली, घाटा व झालजमीरा सहित गुमला जिले के कई गांवों का लोहरदगा जिला मुख्यालय से सीधा संपर्क हो गया था. लेेकिन बरसात में पुल का पिलर दब जाने के बाद इस पर से लोगों का आना जाना बंद हो गया है. लोग वैकल्पिक व्यवस्था के तहत बांस की पट्टी लगा कर अपने गांव आना-जाना करते हैं. बांस की पट्टी से बमुश्किल पैदल एवं दो पहिया सवार लोग ही पार हो सकते हैं. पुल क्षतिग्रस्त होने के बाद लोगों को जिला मुख्यालय आने के लिए करीब 15 किमी की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है.

पुल का जब तक नये सिरे से निर्माण नहीं हो जाता, क्षेत्र के दर्जनों गांव के लोगों की समस्या खत्म नहीं होगी. पुल क्षतिग्रस्त होने से सबसे ज्यादा परेशानी स्कूल जाने वाले छोटे बच्चों के साथ साथ किसानों को हो रही है. किसान 15 किमी की दूरी अनावश्यक तय करने के बजाय स्थानीय बाजारों में कम दाम में अपनी सब्जी सहित अन्य उत्पाद बेचने को विवश हैं. पुल क्षतिग्रस्त हुए इतने दिन हो गये, लेकिन इसके स्थान पर दूसरे पुल का निर्माण के लिए न तो स्थानीय प्रतिनिधि सक्रिय हैं और न ही जिला प्रशासन. इस संबंध में बीडीओ अमिताभ भगत का कहना है कि पुल की जर्जर स्थिति और लोगों की परेशानी से जिला प्रशासन को अवगत करा दिया गया है. जल्द ही फुलझर नदी में पुल का निर्माण कराया जायेगा.

पुल क्षतिग्रस्त होने के बाद क्षेत्र के किसानों एवं विद्यार्थियों को हो रही परेशानी को लेकर लोगों ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है. सुकरा लोहरा ने कहा है कि पुल को क्षतिग्रस्त हुए कई माह हो गये, लेकिन पुल निर्माण के संबंध में किसी का ध्यान नहीं है. किसान औने-पौने दाम में अपनी उपज बेचने में विवश हैं. सीतारी उरांव का कहना है कि पुल क्षतिग्रस्त होने के बाद इस क्षेत्र के कई गांवों का प्रखंड एवं जिला मुख्यालय से संपर्क कट गया है. जरूरी काम के लिए यदि गांव के लोगों को शहर जाना होता है, तो 15 किमी की दूरी अनावश्यक तय करनी होती है.

स्कूल जाने वाले बच्चों को बांस की पट्टी पर चढ़ कर पार होना होता है, जिससे अभिभावक में डर बना रहता है. किशोर साहू का कहना है कि कोई बीमार पड़ जाता है, तो अस्पताल ले जाने में परेशानी होती है. शनिया उरांव का कहना है कि गांवों के विकास के लिए कई तरह के प्रयास किये जा रहे हैं, लेकिन इस पुल की ओर किसी का ध्यान नहीं है.

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