लोहरदगा : कैरो प्रखंड अंतर्गत बक्शी गांव में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. गांव तक पहुंचने के लिए पहुंच पथ नहीं है. यही नहीं शिक्षा का हाल भी बेहाल है. गांव में एकमात्र नवप्राथमिक विद्यालय संचालित हैं, जहां किसान धान सुखाते हैं. विद्यालय के बगल में दो कमरे बनवाये जा रहे हैं, जो वर्षो से लंबित है.
बक्शी गांव में सिर्फ आदिवासी परिवार के 45 घर हैं, जिसकी आबादी लगभग साढ़े तीन से चार सौ के बीच है. बक्शी गांव पहाड़ी की तराई पर बसा हुआ है. यह गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है. गांव तक जाने में पहुंच पथ का अभाव है. इस गांव में पहुंचने के ऐसे तो दो रास्ते हैं, किंतु दोनों रास्ते गांव से एक किलोमीटर पहले ही बंद हो जाते हैं.
बक्शी गांव में सरकारी सुविधा के नाम पर नवप्राथमिक विद्यालय संचालित है. एक आंगनबाड़ी केंद्र भी संचालित है. गांव में चार चापानल लगाये गये हैं. राजीव गांधी विद्युतिकरण के तहत बिजली का तार खींच दिया गया है. लोगों का कहना है कि आंगनबाड़ी केंद्र तो ठीक-ठाक चलाया जाता है.
किंतु नवप्राथमिक विद्यालय सिर्फ नाम का विद्यालय बनकर रह गया है. विद्यालय में दो पारा शिक्षक कार्यरत हैं. इनमें से एक शिक्षक छेदी उरांव लोहरदगा में रह कर विद्यालय का काम देखते हैं. विद्यालय में मध्याह्न भोजन के नाम पर खानापूर्ति ही होती है. विद्यालय में बच्चों की संख्या बहुत कम है.
13-14 बच्चे ही प्रत्येक दिन स्कूल पहुंचते हैं. नवप्राथमिक विद्यालय के बगल में पांच वर्षो से दो कमरों का विद्यालय का निर्माण कार्य रुका हुआ है. इस दो कमरे के विद्यालय भवन का निर्माण नवप्राथमिक विद्यालय का शिक्षक छेदी उरांव द्वारा कराया जा रहा है.
– विनोद –