ट्रेन यात्रियों को नहीं मिल रही है बुनियादी सुविधा
लोहरदगा : लोहरदगा रांची यात्री ट्रेन इस क्षेत्र की लाइफ लाइन बन चुकी है. प्रतिदिन यह ट्रेन चार बार रांची जाती है और चार बार लोहरदगा आती है. लगभग 10 हजार यात्री प्रतिदिन इस ट्रेन से यात्र करते हैं. इस ट्रेन में सुरक्षा के नाम पर कोई इंतजाम नहीं है. ट्रेन में यात्रियों की काफी भीड़ होती है, लेकिन सुरक्षा व्यवस्था नहीं है.
पिछले दिनों इरगांव के पास कुछ लोगों ने पत्थर बाजी कर ट्रेन के ड्राइवर को घायल कर दिया था. आये दिन ट्रेन में पॉकेटमारी, छेड़खानी, मारपीट की घटनाएं होती है. लोग इन समस्याओं को अपने स्तर से निबट लेते हैं. बार-बार चेन पुलिंग असामाजिक तत्वों द्वारा किया जाता है जिसके कारण ट्रेन विलंब से चलती है. ट्रेन में महिला यात्री यात्र करने से अब घबराने लगे हैं.
यात्रियों को होती है परेशानी : यात्री ट्रेन 8:30 बजे रात में लोहरदगा से आखिरी फेरा रांची के लिए लगाती है. इस ट्रेन मे यात्र करने वाले लोग काफी आशंकित रहते हैं. ट्रेन की सभी बोगियों को बंद कर एक या दो बोगी में यात्रियों को बैठा कर ट्रेन को रवाना किया जाता है. कभी-कभार इसमें लाठीधारी पुलिस देखे जाते हैं, लेकिन इनकी मौजूदगी में भी रास्ते में लगातार चेन पुलिंग होती रहती है और ये लोग यात्रियों की सुरक्षा करने के बजाय खुद को सुरक्षित रखने के प्रयास में ज्यादा चिंतित देखे जाते हैं. रात्रि के समय इनका व्यवहार भी काफी बुरा होता है. इस ट्रेन से आकर लोग नेतरहाट, महुंआडाड़,गुमला, घाघरा, सिमडेगा, किस्को, कुडू, चंदवा सहित अन्य स्थानों पर जाते हैं. ट्रेन में किसी भी तरह की कोई परेशानी हो तो लोग किससे शिकायत करेंगे, ये व्यवस्था भी नहीं हैं.
ऑटोवालों से होती है परेशानी : लोहरदगा रेलवे स्टेशन में लगभग 1500 ऑटो चलते हैं. ट्रेन आने के साथ ही यात्रियों को ऑटो में बिठाने के लिए अफरा-तफरी मच जाती है. कई बार झंझट भी हो जाती है, लेकिन स्टेशन परिसर में भी सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं जिसके कारण यात्री परेशान होते हैं. इस स्थान में ही सुरक्षा के इंतजाम की जरूरत ज्यादा महसूस होती है.