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नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज रद्द करने को लेकर लातेहार के ग्रामीणों ने मानव श्रृंखला बनाकर जताया विरोध

नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज को रद्द करने की मांग को लेकर लातेहार-गुमला के प्रभावित क्षेत्र के लोगों ने मानव श्रृंखला बनाकर विरोध जताया. ग्रामीण मुख्य मार्ग के किनारे हाथों में तख्ती लेकर विरोध जताया.

Jharkhand News: लातेहार में नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज को रद्द करने की मांग को लेकर केंद्रीय जनसंघर्ष समिति लातेहार- गुमला की ओर से प्रभावित क्षेत्र के लोगों ने मानव श्रृंखला (Human Chain) बनाकर विरोध दर्ज कराया है. मानव श्रृंखला सुबह 11 बजे से शुरू हुआ, जो दो घंटे तक चला. फायरिंग रेंज के प्रभावित गांवों के लोग अपने-अपने घरों से निकल कर मुख्य मार्ग में पोस्टर, बैनर एवं तख्ती लेकर विरोध प्रदर्शन में अपनी सहभागिता निभायी. मानव श्रृंखला गुमला जिले में नेतरहाट-घाघरा मार्ग, सिसई मार्ग गुमला, जरांगी-मांझाटोली मार्ग और लातेहार जिले के चटकपुर-महुआडांड़ मार्ग, महुआडांड़-अक्सी मार्ग और महुआडांड़-नेतरहाट मार्ग में बनाया गया था.

फायरिंग रेंज की अधिसूचना 11 मई को खत्म हुई

मालूम हो कि नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज से संबंधित अधिसूचना वर्ष 1999 को जारी की गई थी जिसकी अवधि 11 मई, 2022 को समाप्त हो गयी. मौके पर समिति के सचिव जेरोम जेराल्ड कुजूर ने कहा कि नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज को रद्द करने एवं अधिसूचना को बढ़ाने का अब तक कोई नोटिस जारी नहीं किया गया है.

अधिसूचना रद्द करने की लगातार होगी मांग

उन्होंने कहा कि इस मामले में सरकार कोई स्पष्ट जवाब नहीं देती है. कहा कि सरकार का ध्यान आकृष्ट कराने के लिए मानव श्रृंखला का कार्यक्रम आयोजित किया गया था. उन्होंने कहा कि नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज की अधिसूचना को रद्द करने की मांग मरते दम तक करते रहेंगे.

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28 साल से हो रहा है विरोध

पायलट प्रोजेक्ट के तहत सरकार ने नेतरहाट को सेना के तोपाभ्यास एवं अन्य सैन्य गतिविधियों के लिए चुना था. यहां शुरू में आठ गांव में 1966 से तोप दागने का अभ्यास चला था. इसके बाद सरकार ने रेंज क्षेत्र विस्तार कर 245 गांवों को इसमे शामिल किया. इसके बाद ग्रामीणों का विरोध बढ़ता गया और 1994 में भारी विरोध के कारण सेना को पीछे हटना पड़ा था. वहीं, सेना ने मैदानी गोलाबारी का अभ्यास बंद कर दिया. इसके बाद 1994 से हर साल नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज को रद्द करने को लेकर आंदोलन हो रहा है.


रिपोर्ट : वसीम अख्तर, महुआडांड, लातेहार.

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