Jharkhand news, Latehar news : लातेहार (आशीष टैगोर) : लातेहार जिला के नेतरहाट स्थित नाशपाती बागान से झारखंड सरकार को प्रति वर्ष लाखों रुपये की आमदनी होती है. इस वर्ष भी इस बागान की नीलामी 44.20 लाख रुपये में हुई है. छोटानागपुर की रानी कही जाने वाली पहाड़ी नगरी नेतरहाट की जलवायु नाशपाती के फलों के काफी उपयुक्त मानी गयी है.
कृषि विभाग द्वारा यहां वर्ष 1982-83 में प्रयोग के तौर पर नाशपाती के पौधे लगाये गये थे. इसका सुखद परिणाम आने के बाद वर्ष 1999 में नाशपाती की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए विभाग द्वारा वृहत रूप में 450 एकड़ भूमि पर नाशपाती के पौधे लगाये गये. आज ये पौधे वृक्ष बन कर फल दे रहे हैं. प्रति वर्ष जुलाइ एवं अगस्त महीने में प्रति दिन 100 क्विंटल से अधिक नाशपाती के फल पेड़ों से तोड़े जाते हैं. नेतरहाट की नाशपाती की गुणवत्ता अंतरराष्ट्रीय स्तर की होती है. यही कारण है कि इसकी मांग पड़ोसी राज्य बंगाल और बिहार के अलावा महाराष्ट्र एवं दिल्ली में भी खूब है.
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कृषि एवं गन्ना विकास विभाग द्वारा वर्ष 1999 में नेतरहाट के इस नाशपाती बगान में 450 एकड़ भूमि पर नाशपाती के पौधे लगाये गये थे. वर्ष 2004-05 में इस बगान का विस्तारीकरण किया गया. एक अनुमान के अनुसार, यहां 5 हजार से अधिक नाशपाती के पेड़ हैं. विस्तारीकरण के बाद नेतरहाट राज्य का सबसे बड़ा नाशपाती उत्पादक क्षेत्र बन गया.
प्रति वर्ष रांची स्थित संयुक्त कृषि निदेशक कार्यालय से नाशपाती बागान की नीलामी की जाती है. इस वर्ष 44.20 लाख रुपये में नाशपाती बागान की नीलामी हुई है, जबकि वर्ष 2019-20 में अपरिहार्य कारणों से नाशपाती बागान की नीलामी नहीं हो पायी थी. लेकिन, वर्ष 2018-19 में नाशपाती बागान की नीलामी 46 लाख रुपये में हुई थी, जो चालू वित्तीय वर्ष की नीलामी से 2 लाख रुपये अधिक थी. वर्ष 2014-15 में 5.65, वर्ष 2015-16 में 14.85 और वर्ष 2017-18 में नाशपाती बागान की नीलामी 27.60 लाख रुपये में हुई थी.
Posted By : Samir ranjan.