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किससे करें गिला, यह कैसा जिला

– सुनीलकुमार – कॉलेज, रेस्टोरेंट, पार्क, सिनेमा हॉल, पैथोलॉजिस्ट, शो रूम भी नहीं लातेहार : लातेहार को जिला बने 12 वर्ष हो चुके हैं, लेकिन यहां के लोगों को कई जरूरी सुविधा अब तक मयस्सर नहीं है. इलाज के लिए लोगों का रांची या मेदिनीनगर जाना आम बात है. क्योंकि जिले में एक भी विशेषज्ञ […]

– सुनीलकुमार –

कॉलेज, रेस्टोरेंट, पार्क, सिनेमा हॉल, पैथोलॉजिस्ट, शो रूम भी नहीं

लातेहार : लातेहार को जिला बने 12 वर्ष हो चुके हैं, लेकिन यहां के लोगों को कई जरूरी सुविधा अब तक मयस्सर नहीं है. इलाज के लिए लोगों का रांची या मेदिनीनगर जाना आम बात है. क्योंकि जिले में एक भी विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं. ही एक भी नर्सिग होम है. रक्त जांच से लेकर तमाम जांच के लिए लोगों को अन्यत्र जाना पड़ता है.

मनोरंजन के साधन नहीं

नौ प्रखंड दो अनुमंडल वाले लातेहार जिला में एक भी सिनेमा हॉल नहीं है. यहां मनोरंजन के साधन नहीं है. लोग सिनेमा देखने रांची या मेदिनीनगर जाते हैं.

पंजीकृत रेस्टारेंट नहीं

पर्यटन की दृष्टि से लातेहार को समृद्ध जिला माना जाता है. बेतला राष्ट्रीय उद्यान नेतरहाट जैसी पहाड़ी नगरी यहां है. लेकिन जिले में एक भी पंजीकृत रेस्टोरेंट नहीं है. जिला वासियों को लाइन होटल या ढाबों का सहारा लेना पड़ता है और अक्सर पुलिस एवं शरारती तत्वों का कोपभाजन बनना पड़ता है. रेस्टोरेंट की व्यवस्था नहीं होने से बाहर से आये सैलानियों को भी काफी परेशानी होती है.

धरी रह गयी उम्मीद

जिला गठन के वक्त लोगों में कई उम्मीदें जगी थी. लेकिन 12 वर्ष के बाद भी लोगों को जिला स्तरीय कोई सुविधा नहीं मिल सकी है. जिला मुख्यालय सड़क के दोनों ओर सिमट कर रह गया है. किसी भी कंपनी के उत्पाद का यहां कोई शोरूम नहीं है. ही कोई पार्क आदि है, जहां लोग छुट्टियों में समय बिता सकें.

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