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कौन बेच रहा अभिजीत ग्रुप के पावर प्लांट का स्क्रैप?
कौन बेच रहा अभिजीत ग्रुप के पावर प्लांट का स्क्रैप? अब तक 200 करोड़ से अधिक के स्क्रैप बेच दिये गये रांची/ लातेहार :चंदवा में अभिजीत ग्रुप का पावर प्लांट नहीं लगा़ पर इसके स्क्रैप बेच जा रहे हैं. प्रतिदिन ट्रकों से मशीनों के कल-पुरजों की ढुलाई हो रही है. यह खेल 2014 से ही […]
कौन बेच रहा अभिजीत ग्रुप के पावर प्लांट का स्क्रैप?
अब तक 200 करोड़ से अधिक के स्क्रैप बेच दिये गये
रांची/ लातेहार :चंदवा में अभिजीत ग्रुप का पावर प्लांट नहीं लगा़ पर इसके स्क्रैप बेच जा रहे हैं. प्रतिदिन ट्रकों से मशीनों के कल-पुरजों की ढुलाई हो रही है. यह खेल 2014 से ही जारी है़ एक अनुमान के मुताबिक इस दौरान लगभग 200 करोड़ के कीमती कल-पुरजे ढोये गये़ पर इस पर सरकार या प्रशासन की ओर से किसी तरह की कार्रवाई नहीं हो रही है. कौन करा रहा है यह, दबी जुबान से लोग बोल रहे हैं. पर खुल कर कोई कुछ बता नहीं रहा. वैसे आसपास के स्क्रैप के धंधेबाज भी इस काम में जुटे है़
बैंकरों ने किया था आकलन : अभिजीत ग्रुप पावर प्लांट के लिए छह हजार करोड़ का निवेश कर चुका था़ लगभग 95 फीसदी काम पूरा हो चुका था़ पर कोयला घोटाले में नाम आने और चित्तरपुर कोल ब्लॉक रद्द होने के बाद बैंकरों ने कंपनी को ऋण देना बंद कर दिया़ इसके बाद कंपनी ने भी पावर प्लांट चलाने में रुचि दिखानी बंद कर दी़ प्लांट का काम बंद कर दिया गया. कंपनी इसे बेचना चाह रही है़
पिछले साल कई बड़ी कंपनियों ने प्लांट का आकलन किया़ ऋण देनेवाले बैंकरों ने भी आकलन किया़ बैंकर इसके लिए अब नये प्रमोटर की तलाश कर रहे है़ इसे किसी दूसरी कंपनी को बेचने की तैयारी में है़ं
हर माह दो से तीन प्राथमिकी : एक ओर प्लांट से स्क्रैप ढोये जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कंपनी ही प्रत्येक माह चोरी की दो से तीन प्राथमिकी दर्ज करा रही है़ और जब इन मुकदमों की सुनवाई में गवाही के लिए कंपनी के अधिकारियों को कोर्ट में बुलाया जाता है, तो वे नामजद अभियुक्तों को भी पहचानने से इनकार कर देते है़ं पिछलेतीन-चार माह से अभिजीत ग्रुप के मामलों में नामजद आरोपियों की साक्ष्य के अभाव में लगातार रिहाई हो रही है़
क्या कहते हैं लोक अभियोजक
सरकार की ओर से अदालत में पक्ष रखनेवाले लोक अभियोजक सुदर्शन मांझी कहते हैं कि अभिजीत ग्रुप में चोरी की नामजद प्राथमिकी दर्ज करायी जा रही है़, लेकिन अदालत में कंपनी के अधिकारी आरोपी को पहचानने से इनकार कर रहे हैं. कंपनी की इस हरकत के खिलाफ सहायक लोक अभियोजक एके दास के प्रतिवेदन पर कंपनी के सीएमडी व सरकार को लिखा जा चुका है. उन्होंने कहा : 2005-06 में जब अभिजीत ग्रुप की ओर से लातेहार के चित्तरपुर में पावर प्लांट लगाने की कवायद की जाने लगी, तो स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया. इसके बाद कंपनी ने चकला बाना में प्लांट लगाने का निर्णय लिया. 2010 में कारखाना चालू होने का लक्ष्य रखा गया था़ पर तीन साल की देरी के बाद 2013 तक कारखाना लगभग तैयार हो पाया. इसी बीच कोल ब्लॉक रद्द होने से इसका काम पूर्णत: बंद हो गया.
क्या थी कंपनी की योजना
– कुल 1740 मेगावाट बिजली का उत्पादन करने का कंपनी का था लक्ष्य
– वर्ष 2005-06 से शुरू हुआ था पावर प्लांट लगाने का काम
– तीन हजार एकड़ भूमि खरीदी थी कंपनी ने
– छह हजार करोड़ रुपये खर्च हो चुका है
अब क्या हो रहा
– बैंकर किसी दूसरी कंपनी को सौंपें पावर प्लांट, इससे पहले चोरी-छिपे बेचे जा रहे स्क्रैप
– चोरी की प्राथमिकी दर्ज करा कर बीमा कंपनियों से क्लेम का दावा किया जा रहा
अभिजीत ग्रुप का मामला केंद्र सरकार की प्रोजेक्ट मॉनीटरिंग ग्रुप(पीएमजी) के पास है. पीएमजी की ओर से कहा भी गया है कि कंपनी यदि प्लांट को चालू करने के प्रति गंभीर है, तभी कुछ किया जा सकता है. कंपनी के अपने कुछ फायनेंशियल इश्यूज हैं, जिसकी वजह से वह प्लांट में रुचि नहीं दिखा रही है. फिर भी पीएमजी में इस मामले को रखा जायेगा. हिमानी पांडेय, उद्योग सचिव
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