– लातेहार : दो हजार फीट ऊंची है मुरहर पहाड़ की चोटी
– अभियान में पुलिस दल के साथ एक दिन
लातेहार, कुमंडीह में नक्सलियों के खिलाफ चल रहे ऑपरेशन जाल-चार के 12 वें दिन जवानों का मनोबल बढ़ाने पुलिस महानिदेशक राजीव कुमार के साथ पुलिस अधिकारियों के दल ने शनिवार को दो हजार फीट ऊंचे मुरहर पहाड़ पर रात बितायी.
दुर्गम रास्तों व जंगलों से पैदल चलते हुए पुलिस अधिकारियों का दल शाम तकरीबन पांच बजे मुरहर पहाड़ की चोटी पर पहुंचा. अधिकारियों ने रात में वहीं रुकने का निर्णय लिया. उनके साथ प्रभात खबर प्रतिनिधि बद्री प्रसाद ने भी वहीं रात बितायी. उन्हीं की जुबानी रिपोर्ट..
सुबह के तकरीबन 10.30 बजे रहे थे. खबर थी कि पुलिस महानिदेशक राजीव कुमार पुलिस अधिकारियों के साथ कुमंडीह के जंगल में अभियान का निरीक्षण करने ट्रेन के रास्ते जायेंगे. मैं भी स्टेशन पहुंचा. वहां पलामू डीआइजी आरके धान, लातेहार एसपी डॉ माइकल राज एस, पलामू एसपी एनके सिंह, एसटीएफ के एसपी बी चंद्रमोहन व अभियान एसपी मनीष भारती भी मौजूद थे. डीजीपी के साथ स्पेशल पेट्रोलिंग ट्रेन से हम सभी कुमंडीह रेलवे स्टेशन पहुंचे.
कुमंडीह रेलवे स्टेशन पहुंचने पर डीजीपी श्री कुमार ने वहां मोरचा संभाले जवानों का मनोबल बढ़ाया. जवानों से बात की. उनकी समस्याएं समझने का प्रयास किया. पास में कुछ ग्रामीण भी थे. श्री कुमार ने उनसे भी बातचीत की. इसके बाद पुलिस अधिकारी आगे की रणनीति बनाने लगे. नक्शा निकाल कर ऑपरेशन के हर मूवमेंट की जानकारी ली. यहां सबों ने खिचड़ी खायी.
एक बजे से शुरू हुई पहाड़ की चढ़ाई : दोपहर एक बजे से लावागढ़ व मुरहर पहाड़ की चढ़ाई प्रारंभ हुई. आगे-आगे बम निरोधक दस्ता था. डीजीपी श्री कुमार के साथ पलामू डीआइजी आरके धान, एसपी लातेहार डॉ राज, एसपी पलामू एनके सिंह, एसटीएफ एसपी बी चंद्रमोहन, एसपी अभियान मनीष भारती पैदल ही पहाड़ की चढ़ाई करने लगे.
साथ में झारखंड जगुआर के जवान थे. डीजीपी ने कहा, जेजे के जवान ही अभियान में लगाये गये हैं. बीहड़ों व दुर्गम रास्तों से हो कर हम चढ़ाई चढ़ते जा रहे थे. शाम 3.30 बजे तक हमलोग तकरीबन डेढ़ हजार फीट की चढ़ाई पूरी कर चुके थे.
अधिकारियों ने बताया कि यह पहाड़ इलाके में सबसे ऊंचा है. शाम पांच बजे तक हम सभी पहाड़ की चोटी पर पहुंच चुके थे. तय हुआ कि रात यहीं बितायी जायेगी, क्योंकि पहाड़ से उतरने में कम से कम छह घंटे लगेंगे.
पानी खत्म हो गया : हम कुमंडीह से पानी की बोतल लेकर चले थे. लेकिन आधे रास्ते में पानी खत्म हो गया. जवानों के पास पानी की बोतल थी, जिससे हम काम चला रहे थे.