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एक माह बाद खुला हरिहरपुर विद्यालय
डीएसइ के निरीक्षण में हुआ खुलासा, 61 बच्चों में 15 मिले उपस्थित घर-घर जाकर लोगों से ली जानकारी ग्रामीणों ने कहा, नहीं के बराबर होती है पढ़ाई छात्राओं ने कहा, पढ़ाई नहीं होती, पोशाक भी नहीं मिली है, तीन माह से बंद है मध्याह्न भोजन डोमचांच : झारखंड सरकार जहां ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा के […]
डीएसइ के निरीक्षण में हुआ खुलासा, 61 बच्चों में 15 मिले उपस्थित
घर-घर जाकर लोगों से ली जानकारी
ग्रामीणों ने कहा, नहीं के बराबर होती है पढ़ाई
छात्राओं ने कहा, पढ़ाई नहीं होती, पोशाक भी नहीं मिली है, तीन माह से बंद है मध्याह्न भोजन
डोमचांच : झारखंड सरकार जहां ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा के विकास के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने व कई योजनाएं चलाने का दावा कर रही है. वहीं दूसरी ओर प्रखंड के बगरीडीह पंचायत अंतर्गत उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय हरिहरपुर का हाल बुरा है. यह विद्यालय पिछले एक माह से बंद था. विभाग के अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं थी. शुक्रवार को डीएसइ परबला खेस जब विद्यालय पहुंची, तो ग्रामीणों ने उन्हें इस बात की जानकारी दी. विद्यालय निरीक्षण के क्रम में उन्होंने पाया कि 61 नामांकित विद्यार्थियों में मात्र 15 विद्यार्थी उपस्थित थे. इस दौरान उन्होंने घर-घर जाकर लोगों से विद्यालय के संबंध में जानकारी ली.
जहां ग्रामीणों ने उन्हें बताया कि यहां पढ़ाई नहीं के बराबर होती है. इस विद्यालय में दो शिक्षक है, जिसमें एक शिक्षक रफीक अंसारी कहीं अन्य प्रतिनियुक्त है. दूसरे शिक्षक राजेंद्र प्रसाद माह में एक दो दिन आते है और पूरे माह की हाजिरी बनाकर चले जाते है. ग्रामीणों ने बताया कि सभी सरकारी विद्यालयों में परीक्षा हो रही है, मगर यहां परीक्षा नहीं हो रही है. डीएसइ ने ग्रामीणों को बताया कि 18 मार्च से यहां परीक्षा होगी.
विद्यालय में मौजूद छात्रा रानी कुमारी, सुमन कुमारी, शोभा कुमारी व परवेज अंसारी ने उन्हें बताया कि यहां पढ़ाई होती ही नहीं है. विद्यार्थियों को पोशाक भी नहीं मिली है, तीन माह से मध्याह्न भोजन भी बंद है. वहीं ग्रामीण बसवा देवी, बोधा लाल, मो उषा, डोमनी देवी, मुकेश लाल, विनय लाल, शंकर लाल, पुष्पा देवी, शिला देवी, मनोहर लाल, सीता देवी, रेखा देवी आदि ने बताया कि शिक्षकों के मौजूद नहीं रहने के कारण इस विद्यालय में डेढ़ माह से ताला लटका था. शिक्षकों के रवैये से यहां के विद्यार्थियों का भविष्य अंधकारमय हो गया है.
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