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सत्य की हमेशा जीत होती है : डॉ नीरा
डोमचांच. प्रखंड के आसपास क्षेत्रों डोमचांच काली मंडा, टैक्सी स्टैंड, मसनोडीह टांड़, शिवसागर, ढाब, जानपुर, बगड़ो, फुलवरिया आदि क्षेत्रों में दुर्गापुजा हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. शिवसागर में 100 वर्ष पूरे होने पर पूजा समिति द्वारा रावण दहन कार्यक्रम का आयोजन किया गया. रावण दहन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद शिक्षा मंत्री […]
डोमचांच. प्रखंड के आसपास क्षेत्रों डोमचांच काली मंडा, टैक्सी स्टैंड, मसनोडीह टांड़, शिवसागर, ढाब, जानपुर, बगड़ो, फुलवरिया आदि क्षेत्रों में दुर्गापुजा हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. शिवसागर में 100 वर्ष पूरे होने पर पूजा समिति द्वारा रावण दहन कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
रावण दहन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद शिक्षा मंत्री डॉ नीरा यादव ने कहा कि हमेशा सत्य की जीत होती है, असत्य हमेशा पराजित हुआ है. कार्यक्रम में भाजपा नेता महेंद्र प्रसाद वर्मा, प्रमेश्वर यादव, सुरेश विश्वकर्मा, डॉ संदीप घोष, मनोज मेहता, दिवाकर सिंह, अरुण सिंह, महेंद्र यादव, सुमंत मुखर्जी, मनोज मुखर्जी, मनोहर यादव मौजूद थे. ढाब में दशमी के मौके पर आरकेस्ट्रा का आयोजन किया गया.
इसको सफल बनाने में जालेश्वर सिंह, संजय यादव, सुरेश साव, सूरज शर्मा, विनोद यादव, रीत लाल सिंह, नारायण विश्वकर्मा आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. मौके पर बीडीओ नारायण राम, थाना प्रभारी संतोष कुमार, एसआइ दीपक प्रकाश, विनोद सिंह, शंभुनाथ मिश्रा आदि पुलिस बल के जवान सुरक्षा में डटे हुए थे.
वहीं महथाडीह देवी मंदिर के पास मंगलवार की रात डांडिया नृत्य व भक्ति डांस का आयोजन किया गया. छोटी-छोटी बच्चियों द्वारा एक से बढ़ कर एक भावनृत्य प्रस्तुत किया गया. इसमें स्नेहा, सलोनी, मधु, अंजली, तन्नु, रिशु कुमारी, नेहा पंडित की अहम भूमिका रही. मौके पर प्रकाश पंडित, मोनू सिंह, रामेश्वर साव, वासुदेव राणा, राजू साव, छोटू पंडित, कमलेश, बीर कुमार, प्रकाश पंडित, रामेश्वर साव, वासुदेव राणा, मोनू सिंह, राजू साव, प्रमोद साव, रामप्रसाद राम, कमलेश साव, रणजीत साव, सुरेशसाव, गोलू, छोटू पंडित, नीशू, सुरेश पंडित, बीर कुमार, राजकुमार साव लोग मौजूद थे.
नीलकंठ पक्षी के दर्शन का है महत्व
विजयादशमी के दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन का कई मायने में काफी महत्व माना जाता है. दशमी के दिन नीलकंठ के दर्शन से जतरा बनता है और आगे का भविष्य सुखमय होता है. परंपरा के मुताबिक दशमी के दिन श्रद्धालु नये परिधान में नीलकंठ के दर्शन करने निकलते है तथा जलीय क्षेत्र चिगलबर, सिंगारडीह, कांको आदि ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर नीलकंठ का दर्शन कर नमन करते हुए आशीर्वाद लेते है.
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