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लीड… पेयजल संकट के बीच नजीर बना जोलहकरमा

लीड… पेयजल संकट के बीच नजीर बना जोलहकरमा फ्लैग- गुड न्यूज. गांव में सौर ऊर्जा से घर-घर में पहुंचाया जा रहा है पानी55 ग्रामीणों ने लिया हैं कनेक्शन, 50 घरों में अभी हो रही है जलापूर्ति क्रियान्वयन कर रही है ग्राम पेयजल व स्वच्छता समितियूनिसेफ व पेयजल विभाग की मदद से महिला मंडल ने पेश […]

लीड… पेयजल संकट के बीच नजीर बना जोलहकरमा फ्लैग- गुड न्यूज. गांव में सौर ऊर्जा से घर-घर में पहुंचाया जा रहा है पानी55 ग्रामीणों ने लिया हैं कनेक्शन, 50 घरों में अभी हो रही है जलापूर्ति क्रियान्वयन कर रही है ग्राम पेयजल व स्वच्छता समितियूनिसेफ व पेयजल विभाग की मदद से महिला मंडल ने पेश की मिसालनौ अप्रैल को जलापूर्ति योजना का अवलोकन करने आयेंगी राज्यपाल 7कोडपी7. जोलहकरमा में बना जलमीनार.7कोडपी8. इसी जगह से सोलर से होती है जलापूर्ति.7कोडपी9. तालाब के निकट जल संचय के लिए बना इंटक वेल.प्रतिनिधि, जयनगर (कोडरमा) एक तरफ जहां पूरे देश के विभिन्न राज्यों में गरमी शुरू होते ही पेयजल संकट गहराने लगा है और पानी को लेकर मारामारी की स्थिति बनी हुई है. वहीं कोडरमा जिले के चंदवारा प्रखंड के कांको पंचायत स्थित जोलहकरमा के ग्रामीण नजीर पेश कर रहे हैं. गांव में सौर ऊर्जा से घर-घर में पानी पहुंचाया जा रहा है. यह सब संभव हुआ है प्रदान नामक एनजीओ व यूनिसेफ के सहयोग से. ग्रामीण जलापूर्ति में बेहतर काम सुन इसे देखने के लिए नौ अप्रैल को राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू पहुंच रही हैं. इसका मकसद है इस तरह की योजना अन्य जगहों पर लागू करने के लिए लोगों में जागरूकता आये. जानकारी के अनुसार महिला मंडल की करमा व बेलखरा कलस्टर ने प्रदान व यूनिसेफ की तकनीकी सहयोग से सोलर ऊर्जा से ग्रामीण जलापूर्ति योजना का सुचारु रूप से क्रियान्वयन किया जा रहा है. गांव में 27 हजार, 500 लीटर क्षमता का जलमीनार बनाया गया है. वहीं आधा किलोमीटर दूर झोंक तालाब के बगल में सोलर लाइट व जलापूर्ति की मशीनें लगायी गयी है, यहीं पर इंटक वेल भी बनाया गया है. पहले तालाब से इंटक वेल में पानी आता है, फिर पाइप लाइन से उसे जलमीनार में पहुंचाया जाता है. पाइप लाइन के माध्यम से लोगों के घरों में जलापूर्ति की जाती है. महिला मंडल के इस सफल प्रयास के कारण यह गांव पेयजल संकट से मुक्त है. समिति के सचिव बंसत कुमार सिन्हा ने बताया कि जिस तालाब से जलापूर्ति होती है, वह आज तक कभी नहीं सूखा है. अभी भी इस तालाब में साढ़े पांच फीट गहरा पानी है. 55 ग्रामीणों ने इस योजना के तहत कनेक्शन लिया है. इसमें से 50 लोगों के घरों में जलापूर्ति हो रही है. इस गांव में 55 परिवार के सैंकड़ों लोग रहते है. मतदाताओं की कुल संख्या 450 है. इस पेयजलापूर्ति के क्रियान्वयन के खाता संचालन जैबू निशा, अमना खातून व समशा खातून ने नाम से होता है. उक्त योजना की शुरुआत वित्तीय वर्ष 2012-13 में हुई. इसके बाद से इसका संचालन किया जा रहा है. योजना राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा वित्त प्रदत है.सोलर से संचालित यह पहली योजना है: जहां एक ओर शहर में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग जलापूर्ति अनियमित होने पर रटा-रटाया जवाब देता है कि क्या करें. पर्याप्त बिजली अथवा वोल्टेज नहीं रहने के कारण जलापूर्ति नहीं हो पा रही है, वैसी स्थिति मे जिले का यह पहला सोलर ग्रामीण जलापूर्ति योजना सबके लिए प्रेरणाश्रोत बन गया है. यदि सभी जगहों पर इस योजना को शुरू किया जाये, तो शायद लोगों को नियमित पानी मिल पाये. ग्रामीण करते हैं रख रखाव, गंदगी फैलाने पर लगी है रोक: जलापूर्ति योजना में जहां समिति द्वारा जलमीनार, पाइप लाइन व सप्लाई की मशीनों की देख-रेख की जाती है. वहीं ग्रामीण तालाब की देख-रेख करते हैं. यहां किसी भी तरह की गंदगी फैलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध है. इस मामले में ग्रामीण सजग होकर वर्षो पूर्व बनाये गये झोंक तालाब की देख-रेख करते हैं, ताकि इस तालाब का पानी प्रदूषित ना हो पाये.14 सदस्यीय समिति के जिम्मे है जलापूर्ति योजना: योजना के सफल संचालन के लिए बनायी गयी ग्राम पेयजल एवं स्वच्छता समिति में 14 लोग शामिल हैं. ग्रामीण जलापूर्ति योजना के क्रियान्वयन में इस समिति की अहम भूमिका है. समिति में अध्यक्ष महादेव राम, उपाध्यक्ष सहनाज बेगम, जल सहिया वाजदा खातून, सचिव बसंत कुमार सिन्हा, सदस्य नूर मोहम्मद, इब्राहिम मियां, जमतली मियां, सरयू राम, गीता देवी 1, आमना खातून, जुलेसा खातून, मैरुन खातून, गीता देवी 2 शामिल हैं.

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