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आयोग के फैसले को हाइकोर्ट में देंगे चुनौती
कोडरमा : राज्य चुनाव आयोग द्वारा नामांकन के दौरान दाखिल किये गये शपथ पत्र में साक्ष्य छुपाने के आरोप में अयोग्य करार दिये जाने के बाद झुमरीतिलैया नगर पर्षद की राजनीति गरमा गयी है. नगर पर्षद अध्यक्ष उमेश सिंह ने बुधवार को नगर पर्षद कार्यालय में प्रेस वार्ता बुला कर राज्य चुनाव आयोग के आदेश […]
कोडरमा : राज्य चुनाव आयोग द्वारा नामांकन के दौरान दाखिल किये गये शपथ पत्र में साक्ष्य छुपाने के आरोप में अयोग्य करार दिये जाने के बाद झुमरीतिलैया नगर पर्षद की राजनीति गरमा गयी है.
नगर पर्षद अध्यक्ष उमेश सिंह ने बुधवार को नगर पर्षद कार्यालय में प्रेस वार्ता बुला कर राज्य चुनाव आयोग के आदेश को सवालों के कठघरे में खड़ा कर दिया. उमेश सिंह ने कहा कि एक जैसे मामले में चुनाव आयोग दो तरह के आदेश जारी करता है.
उन्होंने बताया कि उनके विरुद्ध वर्ष 1995 में एक केस दर्ज हुआ था, जब वे नगर पालिका के उपाध्यक्ष थे.
सरकारी भूमि पर कब्जा करने के प्रयास का उन्होंने विरोध किया था. बाद में 18 मई 2012 को कोडरमा की अदालत ने उन्हें और अन्य को चेतावनी देकर बरी कर दिया था. पिछले चुनाव में पार्षद चुने गये राकेश शर्मा के खिलाफ भी साक्ष्य छुपाने का मामला अधिवक्ता अमरेंद्र कुमार सिंह ने चुनाव आयोग के पास दर्ज कराया था. इस मामले में आयोग के आयुक्त ने राकेश शर्मा के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज का निर्देश दिया था, न कि उनके चयन को अयोग्य करार दिया.
राकेश भी उनके साथ वर्ष 1995 के मामले में आरोपी थे. इसी मामले में उन पर भी साक्ष्य छुपाने का आरोप लगा, लेकिन आयोग ने मेरे चयन को अयोग्य करार दिया. यह कैसे संभव हो सकता है. उमेश सिंह ने कहा कि पूरे मामले को लेकर वे हाइकोर्ट में जायेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि शिकायतकर्ता रमेश हर्षधर द्वारा मेरे ऊपर लगाये गये साक्ष्य छुपाने का एक मामला कोडरमा के सक्षम न्यायालय में चल रहा है. ऐसे में जब मामला कोर्ट में चल रहा है, तो चुनाव आयोग इस तरह का आदेश कैसे जारी कर सकता है.
उन्होंने आयोग की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि कई मामले दो-तीन वर्षों से पेंडिंग हैं, लेकिन उनके मामले की सुनवाई मात्र चार डेट में पूरी कर दी गयी. उन्होंने कहा कि अदालत ने उन्हें कोई सजा नहीं सुनाई थी, बल्कि चेतावनी देकर बरी किया था. मौके पर नगर पर्षद उपाध्यक्ष संतोष कुमार व अन्य पार्षद भी मौजूद थे. पार्षदों ने भी आयोग के आदेश पर आपत्ति जतायी है.
कब क्या हुआ
– 26 मई : नगर निकाय चुनाव को लेकर झुमरीतिलैया में हुआ मतदान – 29 मई : नगर निकाय चुनाव की मतगणना, झुमरीतिलैया नगर पर्षद अध्यक्ष पद पर उमेश सिंह निर्वाचित घोषित हुए – 6 जून : रमेश हर्षधर ने उपायुक्त सह जिला निर्वाचन पदाधिकारी को पत्र लिख कर उमेश सिंह पर नामांकन के शपथ पत्र में सही तथ्य छुपाने का आरोप लगाया.
कहा, उमेश सिंह को जीआर523/95, टीआर 745/12 के तहत प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत ने चेतावनी की सजा सुनायी थी. उमेश सिंह ने अपने शपथ पत्र में इसका कोई जिक्र नहीं किया है- 21 दिसंबर : राज्य चुनाव आयुक्त शिव बसंत ने मामले की सुनवाई करते हुए उमेश सिंह को अयोग्य घोषित किया. साथ ही छह वर्ष तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंधित भी किया.
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