मुख्यमंत्री जनता को विकास का सपना दिखा कर दिग्भ्रमित कर रहे हैं. पूर्व मंत्री कोडरमा के चाराडीह स्थित आवास पर प्रभात खबर से बातचीत कर रहीं थी. उन्होंने कहा कि लोगों ने अलग राज्य की कल्पना इसलिए नहीं की थी. न ही राज्य का बंटवारा इसलिए हुआ था, कि लोग भूखे मरें. भाजपा की सरकार ने दोहरी नीति अपनाकर स्थिति को बद से बदतर बना दिया है. यह स्थिति चिंतनीय है.
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दोहरी नीति अपना रही है भाजपा सरकार : अन्नपूर्णा
कोडरमा: विपक्षी दल भूख से मौत के मामलों पर भाजपा सरकार को घेरने की रणनीति बना रहे हैं. राजद की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि एक तरफ सिमडेगा, झरिया व देवघर में भूख से मौत के मामले सामने आये हैं, वहीं दूसरी तरफ […]
कोडरमा: विपक्षी दल भूख से मौत के मामलों पर भाजपा सरकार को घेरने की रणनीति बना रहे हैं. राजद की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि एक तरफ सिमडेगा, झरिया व देवघर में भूख से मौत के मामले सामने आये हैं, वहीं दूसरी तरफ सरकार इस दिशा में कुछ नहीं कर रही है.
राज्य में पलायन, भुखमरी व बेरोजगारी बढ़ने से चारों तरफ हाहाकार मचा है. भूख से मौत के बाद राज्य सरकार तरह-तरह की बात बचाव में कर रही है, जबकि हकीकत सबके सामने आ गया है. सरकार डिजीटल इंडिया की बात करती है. गांव में 70-80 साल के बुजुर्गों को अंगुली का निशान (आधार नंबर मिलान) मिलाने के बाद ही अनाज दिया जा रहा है, जबकि बुजुर्गों का थंब इंप्रेशन जल्दी नहीं मिलता. एक ओर सरकार सरकार आधार नंबर को अनिवार्य कर गरीबों से निवाला छीनने पर तुली है. वहीं दूसरी तरफ बड़े घरानों, लोगों को छोड़ दिया जा रहा है. सरकार दोहरी नीति अपनाकर काम कर रही है. ऐसे में आनेवाले समय में जनता सरकार को अपना जवाब देगी.
ढिबरा-क्रशर का व्यवसाय हो रहा है बर्बाद : पूर्व मंत्री ने बातचीत में राज्य सरकार के साथ ही स्थानीय जनप्रतिनिधि पर भी सवाल उठाये. कहा कि कोडरमा में विकास के दावे तो बहुत किये जा रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि यहां के लोगों का मुख्य रोजगार छीना जा रहा है. पूरे जिले में ढिबरा व क्रशर का व्यवसाय पूरी तरह बर्बाद होने की कगार पर है. पत्थर खदान से लेकर क्रशर संचालन में तरह-तरह के नियमों का हवाला देकर व्यवसायियों को परेशान करने का काम किया जा रहा है. डोमचांच को औद्योगिक नगरी बनाने की बजाय यहां के लोगों से रोजगार छीनने का काम सरकार के संरक्षण में हो रहा है.
शिक्षा-स्वास्थ्य की स्थिति चिंतनीय : अन्नपूर्णा ने कोडरमा में शिक्षा व स्वास्थ्य की व्यवस्था पर भी सवाल उठाये. उन्होंने कहा कि दावे तो बड़े-बड़े किये जा रहे हैं, पर सच्चाई यह है कि शिक्षा व स्वास्थ्य की स्थिति और चिंतनीय हुई है. सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर और नीचे गया है. बच्चे सही से हिंदी रीडिंग तक नहीं कर सकते हैं. सरकारी स्कूलों को उत्क्रमित तो कर दिया गया है, पर अधिकतर जगहों पर शिक्षकों की भारी कमी है. कई उच्च विद्यालयों में तो मात्र एक शिक्षक कार्यरत हैं.
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