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डाड़ी व चुआं से प्यास बुझा रहे हैं ग्रामीण

कर्रा प्रखंड में जल जीवन मिशन के तहत हर घर नल से जल योजना की स्थिति गंभीर है.

प्रतिनिधि, कर्रा कर्रा प्रखंड में जल जीवन मिशन के तहत हर घर नल से जल योजना की स्थिति गंभीर है. प्रखंड के कई गांवों में या तो काम में लापरवाही बरती गयी है या फिर योजनाओं को आधा-अधूरा छोड़ दिया गया है. केंद्रीय योजना का लाभ ग्रामीण लेने से अब तक वंचित हैं. प्रखंड के लोधमा पंचायत में हर घर नल जल योजना फेल है. आधे-अधूरे कार्य के कारण इस भीषण गर्मी में क्षेत्र की बड़ी आबादी को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. पानी के लिए ग्रामीण भटक रहे हैं. झरिया चंगाटोली की स्थिति सबसे गंभीर: पंचायत के झरिया चंगाटोली के ग्रामीणों की स्थिति सबसे अधिक गंभीर है. यहां के लोग आजादी के बाद से अब तक डाड़ी और चुआं का पानी पीने को विवश हैं. वहीं झरिया चंगा टोली में जल जीवन मिशन के तहत जून 2023 में काम शुरू हुआ, लेकिन संवेदक ने सिर्फ बोरिंग कराने के बाद कार्य को अधूरा छोड़ दिया. ग्रामीणों के अनुसार झरिया चंगा टोली में मात्र 125 फीट ही बोरिंग की गयी है. छोटा चंगा टोली में भी करीब एक वर्ष से बोरिंग कर छोड़ दिया गया है. इसी तरह तिग्गा गांव में मिशन के तहत दो योजनाएं शुरु हुई, लेकिन यहां भी काम को अधूरा कर छोड़ दिया गया. इस गांव में भी पानी की समस्या बनी हुई है. इसके अगावा मुरहू खास, महतो टोली, जहर टोली, मुस्लिम मुहल्ला, पाइक टोली, लोहागड़ा खास में भी हर घर नल जल योजना की हालत कमोबेश एक जैसी है. कनसीली में दो वर्ष से योजना ठप: कनसीली में विगत दो वर्षों योजना ठप है. महतो टोली लोहागड़ा में बोरिंग फेल होने के बाद उसी हालत में छोड़ संवेदक ने काम समेट लिया. लोधमा पंचायत के ग्रामीणों की मानें, तो किसी भी गांव में योजना का क्रियान्वयन ठीक से नहीं किया गया. पूरे पंचायत में काम में लापरवाही बरती गयी है. वर्जन:::: हर घर नल जल योजना के काम में संवेदकों ने काफी लापरवाही बरती है. किसी भी शिकायत के लिए फोन करने पर संवेदक रिसीव नहीं करते हैं. ग्रामीण अपनी समस्या लेकर उनके पास पहुंचते हैं, लेकिन वह हर तरह से लाचार हैं. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कनीय अभियंता से बात करने पर सिर्फ आश्वासन ही मिलता रहा है. मंजूला उरांव, मुखिया, लोधमा वर्जन:::: जल जीवन मिशन के तहत हर घर नल जल योजना का अधूरा कार्य तीन चार माह में शुरू कर दिया जायेगा. 2024 तक सभी योजनाओं को पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है. जिन गांवों में भी बोरिंग फेल हुई है, वहां दूसरी जग बोरिंग करायी जायेगी. राकेश कुमार यादव, कनीय अभियंता, पीएचइडी

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